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PNB केसः मेहुल चोकसी की दलील, भारत आया तो भीड़ मार देगी

चोकसी ने बताया- किन लोगों से है उसकी जान को खतरा

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पीएनबी घोटाले के आरोपी और नीरव मोदी के मामा मेहुल चोकसी ने अपने खिलाफ गैर जमानती वारंट रद्द करने के लिए सीबीआई कोर्ट से गुहार लगाई है. चोकसी ने कहा है कि वह भारत नहीं आ सकता क्योंकि यहां जिस तरह से मॉब लिंचिंग का माहौल है, उसकी वजह से उसे अपनी हत्या का डर है.

चोकसी ने बुधवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से गैर जमानती वारंट रद्द करने की मांग की. चोकसी ने पीएनबी फ्रॉड केस में कोर्ट के सामने पेश न हो पाने के लिए दस कारण भी दिए.

अपने वकील संजय अबॉट और राहुल अग्रवाल के माध्यम से दायर याचिका में चोकसी ने कहा, ‘बड़े सम्मान के साथ मुझे कहना है कि मॉब लिंचिंग के कई मामले सामने आ रहे हैं. एक केस में तो जेल के अंदर ही हत्या कर दी गई. भीड़ द्वारा हत्या किए जाने की घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं. सड़क पर जनता द्वार इंसाफ किए जाने की प्रवृति बढ़ रही है. जनता सड़कों पर ही न्याय कर देना चाहती है. इसे सही नहीं ठहराया जा सकता.’

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चोकसी ने बताया- किन लोगों से है उसकी जान को खतरा

चोकसी ने कहा कि कई लोगों से उसकी जान को खतरा है. इसलिए वह अपना मौजूदा पता बता नहीं पा रहा है. चोकसी ने कोर्ट को पांच तरह के लोग बताए, जिनमें चोकसी को लेकर गुस्सा है. इनमें उसकी कंपनी के मौजूदा कर्मचारी, जिनकी सैलरी और बकाया चोकसी के बैंक अकाउंट्स फ्रीज कर दिए जाने की वजह से नहीं दिये जा सके. इसके अलावा इस केस में जो कर्मचारी गिरफ्तार हुए हैं, उनके परिवारीजन. इसके अलावा चोकसी ने मकान मालिक, बकायेदार, जिनके बकाये चुकाये नहीं गए हैं, ऐसे लोगों से भी चोकसी ने खुद को खतरा बताया है.

चोकसी ने भारत आने पर जेल में भी कैदियों से खुद को खतरा बताया है.

चोकसी ने वापस न आने के पीछे बताई कुछ और वजहें

चोकसी ने कहा कि उसने कभी जांच से बचने का प्रयास नहीं किया और जांच एजेंसियों की ओर से मिले सभी सवालों का जवाब दिया है. चोकसी ने कहा कि उसका मामला नीरव मोदी से बिल्कुल अलग है. चोकसी ने कहा कि ईडी ने नीरव मोदी के खिलाफ सीबीआई की पहली प्राथमिकी के आधार पर उसकी संपत्तियों को कुर्क किया, जबकि उसका इस मामले से कोई लेना देना नहीं था.

याचिका में मेहुल चोकसी ने वापस न आने की कुछ और वजहें भी बताई हैं, जिनमें खराब स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है और उसके खिलाफ जांच एजेंसियां भेदभाव कर रही हैं.

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