कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने हाल ही में अपने फैसले में माना कि एक नाबालिग लड़की के दुपट्टे को खींचना, उसका हाथ खींचना और शादी के लिए प्रपोज करना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत यौन हमले या उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता है.
जस्टिस विवेक चौधरी की सिंगल बेंच ने कहा कि यह मानते हुए भी कि आरोपी ने दुपट्टा खींचने और पीड़िता का हाथ खींचने और शादी के लिए प्रपोज का कथित कृत्य किया है, ऐसे कार्य POCSO की धारा 7 के तहत यौन हमले या POCSO की धारा 11 के तहत यौन उत्पीड़न की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं.
कोर्ट के फैसले के अनुसार इस स्थिति में अधिक से अधिक आरोपी को केवल भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354A (यौन उत्पीड़न) के तहत अपराध के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, जिसे IPCकी धारा 506 (आपराधिक धमकी) के साथ पढ़ा जा सकता है.
क्या है पूरा केस ?
कोलकाता हाई कोर्ट निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही था जिसमें अपीलकर्ता को पॉक्सो अधिनियम की धारा 8 (नाबालिग पर यौन हमला) और 12 (यौन उत्पीड़न) और धारा 354 , 354 ए ( 2), IPC की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के अनुसार दोषी माना गया था.
अभियोजन पक्ष के अनुसार पीड़िता 24 अगस्त 2017 को स्कूल से लौट रही थी तभी आरोपी ने ओढ़नी को खींचा और शादी का प्रस्ताव रखा. उसने कथित तौर पर प्रस्ताव से इनकार करने पर एसिड अटैक की धमकी भी दी.
निचली अदालत ने माना था कि पीड़ित लड़की के ओढ़नी को घसीटने और शादी के लिए जोर देने का काम उसकी इज्जत को भंग करने के इरादे से किया गया था, इसलिए, माना कि आरोपी ने पॉक्सो के तहत यौन हमला और यौन उत्पीड़न किया था.
अपील पर कोलकाता हाई कोर्ट में IPC और पोक्सो अधिनियम की परिस्थितियों और प्रावधानों पर विचार करते हुए जस्टिस चौधरी ने निष्कर्ष निकाला कि आरोपी को IPC की धारा 506 के साथ धारा 354ए के तहत उत्तरदायी ठहराया जा सकता है.
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