कोरोना संकट के बीच देशभर के कई तरह की तस्वीरें सामने आ रही हैं. कहीं लोग किसी गरीब की मदद करते दिख रहे हैं तो कहीं पुलिस की दरिंदगी की खबरें भी सामने आई हैं. ऐसा ही मामला विशाखापत्तनम से आया है, जहां पुलिस ने एक डॉक्टर के दोनों हाथ बांधकर उसको सड़क पर घसीटा. आरोप था कि डॉक्टर ने उपद्रव फैलाने का काम किया था.
इस वीडियो में दिख रहा है कि डॉक्टर ने ऊपर से कोई कपड़ा नहीं पहना है और उनके हाथ पीछे बंधे हुए हैं. सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए इस वीडियो में एक पुलिस कॉन्स्टेबल डॉक्टर को खींचता दिख रहा है.
नरसीपट्टनम के एक सरकारी हॉस्पिटल में बतौर एनेस्थेसिओलॉजिस्ट काम करने वाले डॉ. सुधाकर को इसी महीने सस्पेंड कर दिया गया था. क्योंकि उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार डॉक्टरों को जरूरत के मुताबिक पीपीई किट और एन-95 मास्क नहीं दे रही है.
इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद विशाखापत्तनम पुलिस कमिश्नर आरके मीणा हरकत में आए और उन्होने कहा कि डॉक्टर को घसीटने वाले पुलिस कॉन्स्टेबल को सस्पेंड किया जा रहा है, साथ ही इस मामले पर जांच भी जारी है. हालांकि कमिश्नर ने ये भी कहा कि डॉ. सुधाकर ने शराब पी रखी थी और उन्होंने कॉन्स्टेबल का फोन छीनकर फेंक दिया था.
टीडीपी ने लगाया आरोप
इस घटना को लेकर तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सदस्य वर्ला रमैया ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया कि, "डॉक्टर दलित थे इसीलिए उनके साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार किया गया. उन्होंने सरकार के खिलाफ सवाल उठाए थे, जिसके बाद उन पर ये कार्रवाई हुई. पुलिस और राज्य सरकार अब खुद को बचाने के लिए उन्हें दिमागी रूप से बीमार बताने की कोशिश कर रही है."
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