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प्रधानमंत्री रोजगार योजनाः बड़े-बड़े दावे, हकीकत बिल्कुल उल्टा

तमाम बड़े दावों के बावजूद प्रधानमंत्री रोजगार योजना का फायदा युवाओं तक पहुंचने में नाकाम

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भारत
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इस साल के बजट में प्रधानमंत्री रोजगार योजना पर काफी जोर दिया गया है. इस योजना के तहत 7.5 लाख युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार ने काफी जोर-शोर से युवाओं को रोजगार दिलाने का ऐलान किया है. लेकिन इस योजना के पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो युवाओं को रोजगार दिलाने के तमाम वादों के वावजूद बैंकों ने इसमें अड़ंगा लगाने का काम किया है.

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88 फीसदी आवेदन रद्द

प्रधानमंत्री इम्‍प्‍लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम के अप्रैल 2017 से अब तक के आंकड़ों के मुताबिक, इस कार्यक्रम के तहत 4 लाख 3 हजार 988 युवाओं ने लोन के लिए आवेदन किया था. लेकिन विभिन्न चरणों से गुजरने के बाद महज 49721 आवेदनों को ही बैंकों ने मंजूरी देते हुए लोन दिया है. ऐसे में यह साफ दिख रहा है कि पछले साल महज 12 फीसदी युवा इस योजना के तहत लोन पाने में सफल रहें.

बजट में इस योजना पर जोर

इस साल के बजट में प्रधानमंत्री इम्‍प्‍लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम के लिए फंड को करीबन दोगुना कर दिया गया है. 2017 के बजट में इस प्रोग्राम के लिए 1024 करोड़ रुपये का फंड तय किया गया था. जिसे बढ़ाकर इस साल 1800 करोड़ रुपये कर दिया गया है.

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पिछले साल बजट में 4.52 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि इसमें सफलता हासिल नहीं हो सकी. बावजूद इसके इस साल सरकार ने इस लक्ष्य को डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ाकर 7 लाख से ज्यादा तय किया है.
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क्या है प्रधानमंत्री रोजगार योजना

प्रधानमंत्री इम्‍प्‍लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम की शुरुआत 2008-09 में हुई थी. इस योजना का उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ाना है. इसके तहत 18 साल से अधिक आयु के लोगों को 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक के किसी प्रोजेक्ट को लगाने के लिए लोन देने का प्रावधान है. इस योजना के तहत 90 प्रोजेक्ट की लागत का 90 फीसदी तक लोन मिल सकता है.

(सौजन्य- मनी भास्कर)

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