NCP नेता प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel), अजित पवार और अन्य पार्टी नेताओं के साथ एनडीए में शामिल होने के आठ महीने बाद, CBI ने एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस विलय मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की है. जुलाई 2023 में अजित पवार और अन्य नेताओं के साथ प्रफुल्ल पटेल एनडीए में शामिल हो गए थे. एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस विलय के इस कथित घोटाले में प्रफुल्ल पटेल की भूमिका संदिग्ध थी. चलिए जानते हैं कि ये मामला क्या था और उन पर क्या आरोप थे?
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, CBI ने 19 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (केंद्रीय जांच ब्यूरो) प्रशांत कुमार की कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दायर की. कोर्ट इस मामले पर 15 अप्रैल को सुनवाई करेगा.
मामला क्या था और आरोप क्या थे?
यह मामला एयर इंडिया-इंडियन एयरलाइंस का विलय कर नेशनल एविएशन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड बनाने से जुड़ा है जिसने बड़ी संख्या में विमान किराए पर दिए और एयरबस, बोइंग से 111 विमानों की खरीद की. ये भी आरोप लगे कि विदेशी एयरलाइंस को मुनाफा कमाने वाले रूट्स दिए गए. इसके साथ ही, विदेशी निवेश के साथ ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोलने में भी भ्रष्टाचार किया गया.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ईडी ने मई 2019 में स्पेशल कोर्ट में बताया कि प्रफुल्ल पटेल बिचौलिए दीपक तलवार के प्रिय मित्र हैं जिसने कथित तौर पर 2008-09 के दौरान "भारत में मंत्री और विमानन कर्मियों के साथ निकटता" का उपयोग कर लाभ कमाने वाले एयर इंडिया रूट्स को निजी एयरलाइनों को दे दिया."
दीपक तलवार को जनवरी, 2019 में दुबई से निर्वासित कर ईडी ने गिरफ्तार किया था. विलय के दौरान, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में पटेल, मामले के प्रमुख संदिग्धों में से एक थे और उनसे सीबीआई और ईडी ने पूछताछ की थी.
केस की टाइमलाइन
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मई, 2017 में चार एफआईआर दर्ज की थीं. दर्ज की गई पहली एफआईआर में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जा चुकी है. अन्य मामलों की जांच अभी भी जारी है.
29 मई, 2017 को इस मामले में सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की. जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी ने अभियुक्त की जगह पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों के साथ प्रफुल्ल पटेल के नाम का जिक्र किया था.
FIR में कहा गया कि भारत के तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अन्य लोगों के साथ मिलकर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बड़ी संख्या में विमानों को किराए पर दिया.
यह कदम बिना उचित रूट स्टडी, मार्केटिंग और प्राइस स्ट्रेटजी को देखे बिना बेईमानी से उठाया गया.
एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि समय पर अज्ञात व्यक्तियों के साथ साजिश कर विमान किराए पर दिए गए जबकि उस समय विमान अधिग्रहण कार्यक्रम चल रहा था और इसके चलते प्राइवेट कंपनियों को आर्थिक लाभ हुआ और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा.
हालांकि, प्रफुल्ल पटेल ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि उस समय सभी फैसले सामूहिक रूप से लिए गए थे.
FIR में यह भी दावा किया गया कि एनएसीआईएल (NACIL) ने बड़ी संख्या में विमान किराए पर लिए थे. यह उस समय की बात है जब एयरलाइंस लगभग खाली चल रही थीं और वे भारी नुकसान से गुजर रही थीं. इसमें यह भी दावा किया गया कि 15 महंगे विमान किराए पर लिए गए जिनके लिए एनएसीआईएल के पास पायलट तक नहीं थे. ये सब "बेईमानी से निजी पक्षों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से" दिए गए.
FIR के मुताबिक, 2006 में प्राइवेट पार्टियों को फायदा पहुंचाने के लिए एयर इंडिया ने पांच साल की अवधि के लिए चार बोइंग 777 को ड्राई लीज पर लिया था जबकि जुलाई, 2007 में उसे अपने खुद के विमानों की डिलीवरी मिलनी थी.
इसका नतीजा यह हुआ कि पांच बोइंग 777 और पांच बोइंग 737 बेकार पड़े रहे और 2007 से 2009 के बीच करीब 840 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ.
सीबीआई और ईडी, दोनों ने एक दूसरी FIR में आरोप पत्र दायर किया है जो बिचौलिए दीपक तलवार से संबंधित है.
प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ एक और मामले की जांच चल रही है. अंडरवर्ल्ड इकबाल मिर्ची के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी ईडी प्रफुल्ल पटेल की जांच कर रही है. इस मामले में उनसे 2019 और 2021 में पूछताछ की गई थी.
पटेल ने कथित तौर पर मिर्ची से संपत्तियां खरीदी हैं, जिस पर वर्ली में सीजे हाउस नाम की एक बिल्डिंग बनाई गई थी.
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