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Prayagraj के अटाला में खाकी से ज्यादा सादी वर्दी वालों का खौफ-ग्राउंड रिपोर्ट

Prayagraj Atala: पुलिस ने मोहम्मद अरसान को 10 जून को उठा लिया और एक दिन बाद अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो छोड़ दिया.

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भारत
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मोहम्मद अरशान अंसारी प्रयागराज (Prayagraj Atala) के ठाकुर हर नारायण सिंह डिग्री कॉलेज में बीएससी थर्ड ईयर के छात्र हैं. अरसान 10 जून को दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे के बीच अपनी वनस्पति विज्ञान की परीक्षा दे रहे थे. उसी शाम सादे कपड़ों में आए कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें उठा लिया और एक दिन तक रखने के बाद पुलिस को अपनी गलती का एहसास हुआ.

10 जून को प्रयागराज में हिंसा के बाद से सभी अटाला के स्थानीय लोग सड़कों पर तैनात वर्दीधारी पुलिसवालों की अपेक्षा सादे कपड़ों में घूम रहे पुलिसवालों से ज्यादा परेशान हैं.

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पुलिस पर सादी वर्दी में लोगों को उठाने का आरोप

स्थानीय लोगों का दावा है कि हिंसा के तुरंत बाद, सादे कपड़ों में पुलिसवालों ने उनके बच्चों को कथित तौर पर उठाना शुरू कर दिया था. गिरफ्तारी का विरोध करने वाले परिवार से बदसलूकी की गई, लेकिन कुछ लोगों को गलत तरीके से हिरासत में लेने और फिर निर्दोष पाए जाने के बाद छोड़ दिया गया.

इलाके में दुकान चलाने वाले एक सामान्य व्यापारी और अरशान के मामा अल्ताफ अहमद अंसारी ने बताया कि,

कम से कम 4-5 आदमी सादे कपड़ों में हमारे घर पहुंचे. उन्होंने अरशान के बारे मे में पूछा और हमने उन्हें बताया कि वो अभी परीक्षा देकर लौटा है और हिंसा में उसकी कोई भूमिका नहीं है. इसके बाद पुलिस ने हमारे साथ दुर्व्यवहार किया, हमें गालियां दीं और अरशान को लेकर चले गए.
Prayagraj Atala:  पुलिस ने मोहम्मद अरसान को 10 जून को उठा लिया और एक दिन बाद अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो छोड़ दिया.

मोहम्मद अरशान अंसारी के मामा अल्ताफ अहमद अंसारी

(फोटो- पीयूष राय)

इसके बाद अल्ताफ ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया और अपने भतीजे की बेगुनाही के लिए परीक्षा के एडमिट कार्ड को सबूत के तौर पर पेश किया. एक दिन की पुलिस हिरासत में रखने के बाद अरशान को छोड़ दिया गया. हालांकि, हर किसी के पास अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए सबूत नहीं थे.

Prayagraj Atala:  पुलिस ने मोहम्मद अरसान को 10 जून को उठा लिया और एक दिन बाद अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो छोड़ दिया.

अरशान अंसारी का एडमिट कार्ड

(फोटो- पीयूष राय)

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तीन पड़ोसी गिरफ्तार, CCTV तोड़ने की कोशिश 

एक दूसरे के घर के बगल में रहने वाले आरिफ अली (31), गुलाम गौस (31) और इनायत अली (19) तीन पड़ोसियों को सादे कपड़े में आए पुलिसवालों ने शनिवार को उठा लिया. ये तीनों पेंटिंग का काम करते हैं और जिस समय पुलिस ने इन्हें उठाया, ये आरिफ के घर के बाहर बने चबूतरे पर बैठे थे. घटना के बारे में परिवार के ही एक सदस्य ने बताया कि,

Prayagraj Atala:  पुलिस ने मोहम्मद अरसान को 10 जून को उठा लिया और एक दिन बाद अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो छोड़ दिया.

गुलाम गौस की बूढ़ी मां अपने बेटे का इंतजार कर रही हैं

(फोटो- पीयूष राय)

"घटना के एक दिन बाद, सादे कपड़ों में पुलिस वाले सड़क पर चक्कर लगा रहे थे. इनमें से कुछ आदमी गली में घुसे और हमारे बच्चों को उठा लिया. जाने से पहले, उन्होंने सीसीटीवी तारों को टाटने की कोशिश की और डीवीआर ले गए."
Prayagraj Atala:  पुलिस ने मोहम्मद अरसान को 10 जून को उठा लिया और एक दिन बाद अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो छोड़ दिया.

आरिफ के घर से टूटे CCTV के तार और गायब DVR

(फोटो- पीयूष राय)

जिस दिन से हिंसा भड़की, शाहिना की चिंता कम नहीं हो रही है. उसका पति सलीम उर्फ ​​गुड्डू, जो कि बिजली मैकेनिक है, शाम को घर से निकला और उसके बाद से नहीं लौटा है. तीन बच्चों की मां शाहिना ने कहा,

"जब वह रात में नहीं लौटे तो मैं चिंतित हो गई. अगली सुबह मेरे भतीजे ने मुझे बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में सलीम का नाम भी है." सलीम परिवार में अकेले कमाने वाले हैं.

Prayagraj Atala:  पुलिस ने मोहम्मद अरसान को 10 जून को उठा लिया और एक दिन बाद अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो छोड़ दिया.

सलीम की पत्नी शाहिना अपने दो बच्चों हसन और फातिमा के साथ

(फोटो- पीयूष राय)

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एक बुजुर्ग निवासी रियाजुल हक चौधरी (60), जिनके भतीजे फैजल को हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, ने कहा कि स्थानीय पुलिस ने कार्रवाई में तोड़फोड़ भी की है. चौधरी ने टूटी विंडशील्ड वाली कारों की ओर इशारा करते हुए कहा, "उन्होंने सीसीटीवी को तोड़ने और गलियों में खड़ी कारों और वाहनों को क्षतिग्रस्त करने की कोशिश की."चौधरी ने कहा,

"हम सरकार से उन लोगों को गिरफ्तार करने का अनुरोध करते हैं, जिन्हें हिंसा में लिप्त देखा गया था, लेकिन गलत तरीके से गिरफ्तार और जेल में बंद लोगों को तुरंत रिहा करना चाहिए."
Prayagraj Atala:  पुलिस ने मोहम्मद अरसान को 10 जून को उठा लिया और एक दिन बाद अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो छोड़ दिया.

स्थानीय लोगों का दावा है कि हिंसा के बाद की कार्रवाई के दौरान पुलिस ने तोड़फोड़ की थी

(फोटो- पीयूष राय)

प्रशासन के आश्वासन के बावजूद बाजार बंद

अब चूंकि पुलिस और अर्धसैनिक बल स्थानीय लोगों की हर गतिविधि पर नजर रख रही है, तो कभी भीड़-भाड़ वाले बाजार में भी अब सन्नाटा पसरा है. कर्फ्यू जैसी स्थिति ने स्थानीय व्यापारियों को दहशत में डाल दिया है. एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि "यहां कोई बड़े व्यवसाय नहीं हैं. हमारी आजीविका दुकानों से दैनिक कमाई पर निर्भर करती है. दुकानदारों को इस तरह क्यों परेशान किया जा रहा है?"

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क्षेत्र में दुकानों पर कोई कारोबार किए पांच दिन हो चुके हैं. स्थानीय दुकानदारों का दावा है कि हिंसा के बाद इलाके में व्यापक पुलिस सुरक्षा के चलते खरीदार बाजार नहीं आ रहे हैं. पुलिस इस बीच अटाला क्षेत्र में अपनी कार्रवाई तेज करने का दावा कर रही है. इससे स्थानीय निवासियों को राहत मिलने के आसार कम ही हैं. प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार ने कहा,

"हिंसा के सभी नुकसान, चाहे वह सार्वजनिक हो या सरकारी संपत्ति और क्षेत्र में तैनात अतिरिक्त बल की लागत हिंसा में शामिल लोगों से वसूल की जाएगी. अगर वे गिरफ्तारी से बचने की कोशिश करते हैं, तो उनके घरों को सील कर दिया जाएगा. वे जहां कहीं भी जाएं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा और वसूली की जाएगी."

10 जून को हुई हिंसा के बाद की कार्रवाई के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य के नौ जिलों में कुल 357 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. प्रयागराज में हिंसा के सिलसिले में दर्ज तीन FIR में सबसे अधिक 97 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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