क्या केंद्रीय विद्यालय के स्कूलों में हिंदी में प्रार्थना धार्मिक प्रचार है? सुप्रीम कोर्ट ने इसी सवाल पर दायर याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता की दलील है कि हर सुबह 1100 केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना हिंदी में होती है और इसमें कई संस्कृत शब्द ही होते हैं. याचिका के मुताबिक हर हाथ जोड़कर आंख बंद करके होने वाली प्रार्थना धर्म विशेष का प्रचार जैसा लगती है.
याचिका के मुताबिक ये संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ है और इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
‘हिंदुत्व को दिया जा रहा बढ़ावा’
दरअसल सुबह के समय स्कूलों में हिंदी और संस्कृत में होने वाली प्रार्थना को लेकर सवाल करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी. इसमें कहा गया है कि देशभर के केंद्रीय विद्यालय के स्कूलों में हिंदी में प्रार्थना करवाकर हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि सरकारी अनुदान पर चलने वाले स्कूलों में किसी खास धर्म का प्रचार करना सही नहीं है.
कोर्ट ने बताया संवैधानिक मुद्दा
जस्टिस नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और केंद्रीय विद्यालय स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर कहा, "केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को हाथ जोड़कर और आंख बंद कर प्रार्थना क्यों कराई जाती है?" बेंच ने कहा है कि ये बड़ा गंभीर संवैधानिक मुद्दा है, जिस पर विचार जरूरी है.
देशभर के हजार से ज्यादा केंद्रीय विद्यालयों में सुबह के समय संस्कृत में श्लोक के बाद बच्चों को हिंदी में प्रार्थना गानी होती है. इसके लिए छात्रों को आंख बंद करके हाथ जोड़कर ऐसा करना होता है. केंद्रीय विद्यालय के अलावा देश में कई राज्यों के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में भी हर दिन सुबह प्रार्थना होती है.
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