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राष्ट्रपति चुनाव: BJP बहुमत से दूर-विपक्ष का काउंटर प्लान, जीत-हार का पूरा गणित?

Presidential Election में बीजेपी प्लस साल 2017 की तुलना में अबकी बार कमजोर क्यों हुई?

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पहले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और अब शरद पवार (Sharad Pawar) ने विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद (Presidential Election 2022) का उम्मीदवार बनने से मना कर दिया है. क्या इसके पीछे वजह ये है कि विपक्ष के पास जरूरी वोट ही नहीं है? और इस बार नंबर गेम किसके पक्ष में है? बीजेपी या विपक्ष? आखिर राष्ट्रपति चुनाव का गणित क्या है? यही इस स्टोरी में समझने की कोशिश करते हैं.

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है, उससे पहले देश का नया राष्ट्रपति चुन लिया जाएगा. 16वें राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को मतदान है. सांसद और विधायक वोट करेंगे. 21 जुलाई को नतीजे आएंगे.

राष्ट्रपति चुनाव: कुल 4896 मतदाता-लेकिन वोटों की कुल वैल्यू 10,98,903

इसे 2017 के राष्ट्रपति चुनाव से समझते हैं. रामनाथ कोविंद ने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को हरा दिया था. कुल 10,69,358 वोटों में से रामनाथ कोविंद को 7,02,000 और मीरा कुमार को 3,67,000 वोट मिले थे.

राज्यसभा में 233, लोकसभा में 543 और सभी राज्यों की विधानसभा में 4120 सीट. कुल मिलाकर इनकी संख्या 4896 हुई. अब समझाते हैं कि 4896 मतदाताओं के वोट की वैल्यू 10,69,358 कैसे हो गई.

राष्ट्रपति चुनाव के लिए देश के प्रत्येक राज्य की वोट वैल्यू अलग-अलग होती है. जैसे- उत्तर प्रदेश विधानसभा के कुल 403 विधायक है. यहां की जनसंख्या 1971 के हिसाब से 83849905 है.

प्रत्येक विधायक का वोट वैल्यू निकालने का फार्मूला है. जैसे कि आंध्र प्रदेश की जनसंख्या 2,78,00,586 है. विधानसभा सदस्यों की संख्या 175 है. ऐसे में 1000*175 करके प्रदेश की कुल जनसंख्या में भाग कर देंगे. जो 159 आता है. यही फॉर्मूला यूपी पर अप्लाई करने पर ये संख्या 208 आती है. यानी यूपी के एक विधायक के वोट की वैल्यू 208 हुई. कुल 403 विधायक हैं. यानी यूपी की कुल वोट वैल्यू 208 ×403=83824 हुई. सभी राज्यों के वोट वैल्यू को मिला दें तो ये संख्या 5, 49, 495 हो जाती है.

सांसदों के वोट वेटेज को भी समझते हैं. लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 233 सांसद. 13 राज्यसभा सांसद मनोनीत हैं तो उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है. कुल मिलाकर 543+233=766 सांसद. सांसदों की कुल संख्या से राज्यों के कुल वोट वैल्यू को डिवाइड (भाग) करते हैं. ऐसे में एक सांसद की वोट वैल्यू 708 आती है. कुल सांसदों की वोट वैल्यू निकालनी हो तो एक सांसद की वोट वैल्यू को कुल सांसदों की संख्या से गुणा कर देते हैं. 708 ×776=5,49,408. ऐसे में साल 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4896 मतदाताओं के वोटों की वैल्यू (सांसदों के वोटों की वैल्यू + विधायकों की वोटों की वैल्यू) 5,49,495 + 5,49,408 = 10,98,903 थी.

16वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए विधायकों के वोटों की वैल्यू 5,43,231 और सांसदों के वोटों की वैल्यू 5,43,200 है. राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए मतदाताओं के वोट की कुल वैल्यू 10,86,431 है.
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2017 की तुलना में बीजेपी के वोटों की वैल्यू घट गई

बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास कुल वोट का करीब 48% वोट है. कुल वोट 10.86 लाख हैं तो उसमें बीजेपी प्लस के पास 5.26 लाख वोट हैं. बहुमत का आंकड़ा 5.43 लाख है. बीजेपी की वोट वैल्यू साल 2017 की तुलना में घटी है. 2017 में बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के लिए 7,02,044 वोट हासिल किए. लेकिन आज एनडीए के कुल वोटों की वैल्यू घटकर 5.26 लाख रह गई है, जो कि बहुमत के आंकड़े से थोड़ा कम है.

2017 की तुलना में 2022 में बीजेपी प्लस के वोटों की वैल्यू कम क्यों हुई? लोकसभा में बीजेपी सीटों की संख्या में जरूर बढ़ी है, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों से तालमेल बिगड़ा है. राज्यों की विधानसभा सीटों में भी कई जगहों पर कमी आई है. शिवसेना और अकाली का साथ छूट गया. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सीटों का नुकसान भी हुआ.

बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी का प्लान?

राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए बीजेडी, YSRCP या फिर AIADMK की मदद ले सकती है. नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी की दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात भी हो चुकी है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी को इन पार्टियों की मदद मिल सकती है. बीजेडी और YSR कांग्रेस ने साल 2017 में भी बीजेपी को समर्थन दिया था.

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विपक्ष प्लान तो बना रहा, लेकिन उम्मीदवार नहीं मिल रहा?

कांग्रेस, DMK, शिवसेना, RJD और NCP के वोटों की वैल्यू 2.59 लाख है. लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में तीसरा मोर्चा यानी टीएमसी, एसपी, आम आदमी पार्टी, केरल की लेफ्ट पार्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. इनके वोटों की वैल्यू करीब 2 लाख से ज्यादा है.

ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं को लेटर लिखकर एक संयुक्त रणनीति बनाने की बात कही है. इसके लिए 15 जून को नई दिल्ली में एक मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल और सीताराम येचुरी सहित 22 नेताओं को बुलाया गया है, जिसमें कुल 8 राज्यों के सीएम भी शामिल हो सकते हैं.

ऐसे में अगर विपक्ष छोटे दलों को साथ लाने में कामयाब हुआ तो बीजेपी के लिए थोड़ी मुश्किल जरूर हो सकती है, लेकिन अभी पलड़ा बीजेपी के पक्ष में झुका नजर आता है. वैसे विपक्ष में इस मुद्दे पर बिखराव भी है.

कांग्रेस चाहती थी कि वो मिशन राष्ट्रपति चुनाव को लीड करे लेकिन ममता बीच में आ गई हैं. पहले कांग्रेस ने कहा कि जब वो इस मामले को लीड कर रही थी तो ममता को दखल देने की जरूरत नहीं थी. हालांकि खबर है कि ममता की बुलाई बैठक में कांग्रेस अपने प्रतिनिधि भेजेगी.

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ममता बनर्जी विपक्ष को एकजुट कर मीटिंग तो कर रही हैं, लेकिन शायद सबसे बड़ी मुश्किल उम्मीदवार के चुनाव में हो सकती है. क्योंकि पहले चर्चा थी कि शरद पवार को उम्मीदवार बनाया जा सकता है, लेकिन शरद पवार ने एनसीपी नेताओं के साथ बैठक में साफ कर दिया कि वो विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव नहीं लड़ेंगे. इससे पहले नीतीश ने कैमरे पर कहा है कि वो उम्मीदवार नहीं हैं. ऐसे में विपक्ष के लिए बड़ी दिक्कत होगी कि वह अपना उम्मीदवार किसे बनाए, जिसे सभी दल सहमति दें.

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