ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब प्रियंका ने राजीव के कातिलों को माफ करने का फैसला लिया

2004 में प्रियंका को अपनी मां के जिंदगी को लेकर लगा था डर.

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा

"ये सच है कि मैं 19 मार्च 2008 को नलिनी श्रीहरन से वेल्लोर सेंट्रल जेल में मिली थी. हिंसा और नुकसान से आगे शांति की तरफ बढ़ने का ये मेरा अपना तरीका है."

दरअसल ये बातें प्रियंका गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी की हत्या की दोषी महिला नलिनी श्रीहरन से 2008 में वेल्लोर सेंट्रल जेल में हुई मुलाकात के बाद कही थी. 21 मई 1991 को तमिलनाडु का श्रीपेरम्बदूर में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. हत्या की साजिश का आरोप नलिनी श्रीहरन पर भी था और उसे कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी.

फिलहाल अब प्रियंका एक्टिव पॉलिटिक्स में कदम रख चुकी हैं. 23 जनवरी 2019 को उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस पार्टी की महासचिव बनाया गया है. 2009 में एनडीटीवी की बरखा दत्त को दिए एक इंटरव्यू में, प्रियंका ने अपने पिता और जिंदगी से जुड़ी कई बातें सामने रखी थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उन्होंने उस इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्हें अपने पिता की हत्या के बारे में पता चला और फिर किस तरह एक 19 साल की लड़की जो कि अपने पिता की मौत से नाराज थी वो पिता की हत्या के दोषी को माफ करने के बारे में सोचने लगी.

मैं सिर्फ अपने पिता के हत्यारों से नहीं बल्कि पूरी दुनिया से गुस्से में थी

दरआसल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के लिए श्रीलंका की एक उग्रवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) को दोषी ठहराया गया था. जिसका सरगना प्रभाकरण था. प्रभाकरण पर इस पूरी साजिश को रचने और अंजाम का जिम्मेदार माना जाता है. जब प्रियंका को अपने पिता की हत्या के बारे में पता चला तो पूरे दुनिया से नाराज थीं, गुस्से में थीं.

प्रियंका अपने इंटरव्यू में कहती हैं,

जब मेरे पिता की हत्या हुई तब शुरुआत में मैं समझ नहीं सकी, लेकिन मैं अंदर से गुस्से में थी. सिर्फ उस इंसान से नहीं जिसने मेरे पिता की हत्या की थी, बल्कि पूरी दुनिया से.

“असली अहिंसा आपको पीड़ित होने का अहसास होने नहीं देता है”

प्रियंका कहती हैं, “गुस्सा ज्यादा दिन तक नहीं रहा. जैसे जैसे आप बड़े होते हैं गुस्सा दूर होता जाता है,” प्रियंका आगे बताती हैं कि उन्हें पीड़ित होने का दर्द क्या होता है इसका अहसास था, साथ ही दूसरों की परिस्थितियों को समझने की भी समझ बढ़ी.

जिस पल आप ये महसूस करते हैं कि आप पीड़ित नहीं हैं और दूसरा व्यक्ति भी उतना ही परिस्थितियों का शिकार है जितना कि आप हैं… तो फिर आप खुद को कैसे उस स्थिति में डाल सकते हैं जब आप किसी और को माफ करने वाले होते हैं. क्योंकि, आप जानते हैं कि खुद को कमजोर समझने की भावना आपसे गायब हो चुकी है.
प्रियंका गांधी

इंटरव्यू में प्रियंका कहती हैं कि उनका मानना है कि जो कोई भी "किसी को बहुत ज्यादा चोट पहुंचाने" की कोशिश कर रहा है, वह अपनी निजी भावनाओं के कारण ऐसा कर रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब प्रियंका ने अपने पिता के कातिल से पूछा 'तुमने ऐसा क्यों किया?'

राजीव गांधी की हत्या की सजा की तौर पर लगभग 17 साल जेल में बिताने के बाद, नलिनी श्रीहरन उस वक्त चौंक गई थी जब 18 मार्च 2008 को वेल्लोर जेल में उनसे मिलने प्रियंका गई थीं.

2016 में लेखक Pa Ekalaivan की किताब राजीव मर्डर: हिडेन ट्रूथ एंड प्रियंका-नलिनी मीटिंग में नलिनी के हवाले से उस पल के बारे में बताया गया है, जब 2008 में नलिनी से मिलने के लिए प्रियंका जेल में आई थीं.

नलिनी बताती हैं कि उस मुलाकात के दौरान उनसे सवाल पूछते हुए प्रियंका रो पड़ी थीं, प्रिंयका ने कहा था,

तुमने ऐसा क्यों किया? मेरे पिता एक अच्छे और नरम मिजाज के इंसान थे?” तुम्हें उनके साथ बात करके किसी भी मामले को सुलझा सकती थी.

प्रियंका ने NDTV को दिए अपने इंटरव्यू में कहा, "जब मैं उनसे [नलिनी] मिली, तब मुझे महसूस हुआ कि मैं अब उनसे नाराज नहीं थी ना ही उनसे नफरत कर रही थी, फिर भी मैं सोच रही थी कि जो उन्होंने किया है ये जानते हुए भी मैं उन्हें माफ कर रही थी."

“राजीव मर्डर: हिडेन ट्रूथ एंड प्रियंका-नलिनी मीटिंग” में नलिनी उस मुलाकात में प्रियंका के रोने को याद करते हुए बताती हैं कि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी. क्योंकि वह जानती है कि "आंसू कितना दर्दनाक होता है." नलिनी ने प्रियंका से कहा, "मैडम, मुझे कुछ नहीं पता. मैं एक चींटी को भी चोट नहीं पहुंचा सकती हूं. मैं परिस्थितियों की कैदी हूं. मैंने कभी सपने में भी किसी को चोट पहुंचाने के बारे में नहीं सोचा था.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जो हमारे साथ हुआ वो किसी और मासूम बच्चे के साथ ना हो

‘My Could Not Let The Same Fate Befall An Innocent Child’

राजीव गांधी की हत्या के वक्त नलिनी प्रेग्नेंट थी, उसकी शादी मुरुगन से हुई थी. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी के पति मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था. नलिनी को भी कोर्ट ने मौत की सजा दी थी, लेकिन राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने साल 2000 में नलिनी की बेटी की दुहाई देते हुए उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की थी. जिसके बाद साल 2000 में तमिलनाडु सरकार की कैबिनेट के सिफारिश पर गवर्नर फातिमा बीवी ने मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 1999 में सोनिया गांधी ने भी नलिनी के लिए माफी की मांग की थी. क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि नलिनी का बच्चा अनाथ हो.

प्रियंका कहती हैं,

उनकी मां ने अपील की थी क्योंकि वह एक दुखद घटना को एक बार फिर किसी और “मासूम बच्चे” के साथ नहीं होने दे सकती हैं. मेरी मां दुखों से गुजरी हैं, फिर वह कैसे चाहती कि यही बात किसी और के साथ भी हो? नलिनी का बच्चा निर्दोष था. इस मामले से बच्चे का क्या लेना?
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब 2004 में प्रियंका को अपनी मां के जिंदगी को लेकर लगा था डर

The Day in 2004 When Priyanka Feared For Her Mother’s Life

यह पूछे जाने पर कि उनके भाई और मां राजनीति में काफी सक्रिय रूप से शामिल हैं. ऐसे में क्या वह अपनी मां और भाई के जिंदगी के लिए डरती हैं. प्रियंका 2004 के लोकसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले को याद करते हुए बताती हैं,

“2004 का वो दिन डरावना था जब मैं उनके ऑफिस में पहुंची. मैंने देखा कि लालू जी और कई सारे नेता उन्हें पीएम बनने के लिए जिद कर रहे थे. मैं ये देख कर रो पड़ी और भागते हुए अपने भाई राहुल के पास गई और कहा, “तुम्हें पता है, वो मरने जा रही हैं.”

प्रियंका कहती हैं, “तब से मुझे एहसास हो गया है कि यह उनके कर्तव्यों का हिस्सा है. मैं उन्हें रोक नहीं सकती हूं, क्योंकि मुझे पता है कि वे अपना कर्तव्य, अपना काम कर रहे हैं. और अगर वे अपना काम करते हुए अपनी जान गंवा देते हैं, तो हमें उसे भी स्वीकार करना होगा.”

लेकिन अब प्रियंका खुद राजनीति में कदम रख चुकी हैं और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की जिम्मेदारी मिली है जहां कांग्रेस अपने बुरे दौर से गुजर रही है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×