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पंजाब में वीरता पुरस्कार विजेताओं की विधवाओं को अब आजीवन मिलेगा भत्ता

Punjab में इससे पहले पति के भाई से शादी करने पर ही मिलता था भत्ता, अब किया गया बदलाव

Published
भारत
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पंजाब सरकार ने बुधवार को घोषणा करते हुए बताया कि उसने वीरता पुरस्कार विजेताओं की विधवाओं और पति को मरणोपरांत पदक दिए जाने के बाद पुनर्विवाह करने वाली विधवाओं के मासिक भत्ते को निर्धारित करने वाले पुराने नियमों में संशोधन किया है.

नए नियमों के मुताबिक, शहीद हुए वीरता पुरस्कार विजेता की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी को जीवन भर भत्ता मिलता रहेगा.
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सरकार की हुई थी आलोचना

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक वीरता पुरस्कार विजेता मेजर रमन दादा की पत्नी अंजिनी दादा को पंजाब सरकार द्वारा मिलने वाले पुरस्कार भत्ते से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने अपने पति के भाई के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से शादी की थी.

औपनिवेशिक युग से चले आ रहे पुराने नियमों के चलते सरकार को तब भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था, जिसमें स्वर्गीय मेजर के कई साथी अंजिनी के बचाव में आए और सरकार से फिर से विचार करने के लिए कहा.

इसके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सैनिक कल्याण विभाग से जांच करने और उन प्रावधानों को दूर करने के लिए कहा जो भारतीय सेना नियमों के अनुसार नहीं थे.
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इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रक्षा सेवा कल्याण सचिव गुरकीरत कृपाल सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार नियमों में संशोधन किया गया है और इस संबंध में वित्त विभाग द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई है.

इसके बाद पंजाब सरकार से भत्ते प्राप्त करने के लिए वीरता पुरस्कार विजेता की विधवाओं को अपने मृत पति के भाई से पुनर्विवाह करने की कोई जरूरत नहीं है.
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इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, अंजनी दादा ने इस मुद्दे को उठाने और नियम में बदलाव करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का शुक्रिया अदा किया.

मैं कैप्टन अमरिंदर का शुक्रिया अदा करती हूं कि उन्होंने मेरी और कई अन्य लोगों की मदद की, जिन्होंने शायद इसी तरह की समस्या का सामना किया है.
अंजिनी दादा
सैनिक कल्याण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अंजिनी दादा के अलावा अभी तक ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है.
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2005 में दोबारा शादी करने पर रोका गया था भत्ता

रिपोर्ट के अनुसार जब अंजिनी दादा ने दोबारा शादी की थी तो पंजाब सरकार ने उनके भत्ते को 2005 में रोक दिया था, जिसकी कीमत अब 13,860 रुपये है. भत्ते के रोक दिए जाने के बाद उन्होंने इसकी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी, लेकिन 2011 में अंजिनी का तलाक हो गया और अब उन पर खुद के साथ-साथ दो संतानों के गुजर-बसर का जिम्मा भी आ गया है. वो आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही हैं. उन पर एक बेटी और एक बेटे की जिम्मेदारी है. रिपोर्ट में उन्होंने कहा है कि उनके द्वारा भत्ते को फिर से शुरू करने के लिए कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन वित्त विभाग ने उनकी मांग को ठुकरा दिया था.

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मेजर रमन दादा के एक सेवानिवृत्त साथी मेजर आरएस विर्क ने कहा कि नियम बदलने और अंजिनी के साथ न्याय करने के लिए हम पंजाब सरकार के बहुत आभारी हैं. हम इसके लिए लंबे समय से लड़ रहे थे, लेकिन कोई हमारी दलील नहीं सुन रहा था.

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