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CAA प्रदर्शन के बाद किसान आंदोलन पर ‘बोल’, चाहती क्या हैं रागिनी?

रागिनी तिवारी ने हाल ही में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को खत्म कराने को लेकर एक धमकी भरा वीडियो जारी किया है.

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भारत
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“जय सिया राम, जय जानकी बोला जाए”- हिन्दुत्व की स्वयंभू नेता 48 वर्षीय रागिनी तिवारी जिन्हें जानकी के नाम से भी जाना जाता है, बिहार से क्विंट के साथ बातचीत करते हुए इसी तरह खुद का परिचय देती हैं. किसानों का विरोध प्रदर्शन खत्म कराने की धमकी देतीं रागिनी तिवारी का एक वीजियो 12 दिसंबर की रात वायरल हो गया.

वीडियों में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “अगर 16 (दिसंबर) तक किसानों का प्रदर्शन खत्म नहीं होता है तो 17 (दिसंबर) को एक और जाफराबाद होगा और रागिनी तिवारी खुद सड़कें खाली कराएंगी.”

जाफराबाद बेहद विवादास्पद संदर्भ है क्योंकि यही स्थान उस हिंसा का केंद्र था जो फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई थी और जहां हिंदू व मुसलमानों के बीच हुई हिंसा के दौरान तिवारी देखी गयी थीं. हिंसा कई दिनों तक चली थी, जिसमें दावा किया जाता है कि कम से कम 53 लोगों की जानें गई थीं और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था.

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उत्तर पूर्व दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस ने हालांकि ट्विटर पर जाफराबाद (पुलिस स्टेशन) ‘एसएचओ को आवश्यक कार्रवाई करने’ का निर्देश दिया है, लेकिन तिवारी ने हमें बताया है कि दिल्ली पुलिस की ओर से अब तक किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया है. जाफराबाद पुलिस स्टेशन के एसएचओ और नॉर्थ-ईस्ट डीसीपी को हमारी ओर से किए गए फोन का कोई जवाब नहीं मिला.

दिल्ली में सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन हो रहे हैं. इसलिए हम अलीपुर पुलिस थाने भी पहुंचे, जिसके क्षेत्राधिकार में सिंघु पड़ता है. इसके साथ ही हम मुंडका पुलिस थाने भी पहुंचे जिसके मातहत टिकरी बॉर्डर आता है. दोनों थानों के एसएचओ ने कहा कि वे तिवारी के बारे में कुछ भी नहीं जानते.

अलीपुर के एसएचओ ने कहा, “नहीं हमें इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है.” वहीं मुंडका के एसएचओ ने कहा, “मैंने यह वीडियो नहीं देखा है और इस बारे में हमें कोई सूचना नहीं है.”

रागिनी तिवारी ने हाल ही में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को खत्म कराने को लेकर एक धमकी भरा वीडियो जारी किया है.
उत्तर पूर्व दिल्ली के डीसीपी ने तिवारी की ओर से हिंसा की धमकी का संज्ञान 13 दिसंबर की दोपहर 12 बजे लिया गया.
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ऐसी खुली और विवादास्पद धमकी तिवारी ने पहली बार नहीं दी है. जब 23 फरवरी 2020 को दिल्ली में हिंसा भड़की थी तब भी उस दौरान तिवारी ने ऐसा ही विवादास्पद बयान दिया था. तब उन्होंने कहा था, “हिंदुओं पर बहुत हमले हो चुके. ऐसे हमले हम और बर्दाश्त नहीं करेंगे हिन्दुओं बाहर निकलो. मरो या मारो. बाकी बाद में देखा जाएगा. अगर अभी तुम्हारा खून नहीं खौला तो यह खून नहीं पानी है.”

हमारी एक्सक्लूसिव स्टोरी में चश्मदीदों ने दावा किया था कि उन्होंने तिवारी को फायरिंग करते और खुलेआम लोगों को मारने का आह्वान करते देखा था. इस स्टोरी को यहां पढ़ा जा सकता है. हिंसा से जुड़ी दिल्ली पुलिस की जांच से संबंधित हमारी विस्तृति रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

क्विंट के साथ इंटरव्यू में, तिवारी ने खुद को नाथूराम गोडसे का भक्त (फॉलोअर) बताया. उन्होंने बताया कि किसानों के प्रदर्शन को लेकर उनकी खुली धमकी का मतलब क्या है, उनकी योजना क्या है और वे कौन से संगठन हैं जो ‘किसानों के प्रदर्शन को खत्म कराने’ में उनके साथ हैं.

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ऐसा क्या हुआ कि आपको सबसे पहले ऐसा वीडियो रिकॉर्ड और जारी करना पड़ा?

यह दंगे के बारे में नहीं था, यह सड़क खाली कराने को लेकर था. मैं पहले भी सड़क खाली करा चुकी हूं और एक बार फिर कराऊंगी.

तो क्या आप यह कह रही हैं कि आप ही ने जाफरादाबद में दिल्ली दंगे के दौरान सड़कें खाली करायी थीं?

हां, मैंने किया. इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए. मैंने ही सड़कों को खाली कराया था और इसके कई उदाहरण हैं. हमने कहा कि हम सड़क के इस किनारे से नहीं हटेंगे जब तक कि वे (सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी) दूसरे किनारे से नहीं हटते.

जाफराबाद में किस तरह आपने सड़कें खाली करायीं?

जब हम धरने पर बैठे, जब सभी सनातनी (हिंदू) बैठे तो हमने दिल्ली पुलिस से कहा कि हम इस पार सड़क तभी खाली करेंगे जब पुलिस दूसरी ओर सड़क खाली कराएगी. जब पुलिस ने दूसरी ओर सड़कें खाली कराईं तभी हमने उस ओर सड़कें खाली कीं जहां हम बैठे थे. मैं सनातनी हूं दंगाई नहीं. सनातनी हिंदू दंगाई नहीं होते.

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तो किसानों की ओर से जारी विरोध प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए आपने सड़कें जाम करने की धमकी दी है और वास्तव में आप कहां ऐसा करने वाली हैं?

हां, हम सड़क जाम करेंगे. कहां करेंगे, इस बारे में आपको 17 दिसंबर को ही पता चलेगा.

हमें यह भी मालूम है कि पुलिस ने आपके वीडियो का संज्ञान लिया है. क्या दिल्ली पुलिस से, खासकर जाफराबाद पुलिस स्टेशन से, किसी ने आपसे इस वीडियो को लेकर संपर्क किया है?

अगर मेरा वीडियो पुलिस को दिखाया गया है या उन तक पहुंचा है तो उन्हें पता होना चाहिए कि यह वीडियो कई एजेंडों के बारे में है, जो किसानों के विरोध प्रदर्शन के नाम पर थोपे जा रहे हैं. उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि शर्जिल इमाम को छोड़ दिया जाए. फिर वो खालिस्तान बनाने की बात करते हैं और वे इमरान खान के समर्थन में नारे भी लगाते हैं. पुलिस भी भलीभांति यह सब सुन रही है. देशद्रोही और गद्दारों ने विरोध प्रदर्शनों का अपहरण कर लिया है. अगर कोई मेरे कलेजे पर तीर मारें, हम थोड़ी ना सहेंगे, कभी नहीं सह सकते.

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क्या आपको पता है कि खालिस्तान का नारा लगाने संबंधी आरोप फेक न्यूज साबित हुए हैं?

नहीं, यह फेक न्यूज हो सकता है. लेकिन शर्जिल इमाम और उमर खालिद को जमानत देने के बारे में आह्वान क्या फेक न्यूज है?

लेकिन दिल्ली दंगों की जांच वर्तमान में लंबित है. कैसे किसी को दोषी माना जा सकता है जब तक कि जज खुद इस नतीजे पर नहीं पहुंचें? लोगों को आतंकी बताना हमारा काम नहीं होता. क्यों?

(थोड़ा हकलाते हुए) आप यह भी कह रहे हैं कि मेरे खिलाफ शिकायत है.

दंगों के बाद क्विंट ने रिपोर्ट दी थी कि किस तरह तिवारी एक वीडियो में यह कहती हुई देखी गयी थीं काट डालो, जो भी है काट डालो...भीमटी है क्या? ‘चश्मदीदों’ की ओर से भी आरोप लगाते हुए कहा गया था कि तिवारी ने बुलेट फायर किए और कई नारे लगाए जिनमें शामिल था, “मुसलमानों के दो ही स्थान, पाकिस्तान या कब्रिस्तान.”
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क्या किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़े आपके वीडियो के बारे में पुलिस ने पूछताछ की है? या नहीं?

मैं अब तक यह भी नहीं जानती कि पुलिस ने मेरा वीडियो देखा है या नहीं. नहीं, मुझे जाफराबाद पुलिस थाने से किसानों के विरोध प्रदर्शन पर मेरे वीडियो के बारे में कोई कॉल नहीं आया है. मैं नहीं कह रही हूं कि मैं दंगे शुरू करूंगी.

तो आप तुरंत क्या करने की योजना बना रही हैं? कृपया विस्तार से बताएं कि आप क्या करना चाहती हैं?

मैं भी विरोध प्रदर्शन शुरू करूंगी और सड़कें जाम करूंगी. अगर वे कर सकते हैं तो मैं भी कर सकती हूं. वे शर्जिल इमाम और उमर खालिद को जमानत दिलाने का आह्वान कर रहे हैं. मैं इसके साथ खड़ी नहीं हो सकती.

आपके साथ कौन लोग हैं, आपकी मदद कौन लोग करेंगे? बीजेपी कार्यकर्ताओं के बारे में आपका क्या कहना है?

ये महिलाएं हैं जो हमारे साथ काम करती हैं. मैं केवल महिलाओं के साथ काम करती हूं, पुरुषों के साथ नहीं. मेरा कोई संगठन नहीं है. केवल एक समूह है जिसमें 30-40 महिलाएं साथ काम करती हैं. इसे जानकी धाम कहा जाता है. यह पंजीकृत संस्था नहीं है. यह भारत भर में फैला हुआ है लेकिन इसके कितने सदस्य हैं मुझे नहीं पता. यह संस्था गरीब हिंदू लड़कियों की शादी कराती हैं, उनके कार्यों को अपने हाथ में लेती हैं आदि. समाज मेरी मदद करता है और इसी वजह से मैं काम कर पाती हूं. यह संस्था पिछले आठ सालों से काम कर रही है. दिल्ली, बिहार और यूपी में मैंने कम से कम 70 शादियां करायी हैं.

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