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उत्तराखंड: बारिश से 46 से ज्यादा की मौत, CM बोले- हालात सुधरने में लगेगा वक्त

CM Pushkar Singh Dhami ने बताया स्थिति को संभालने के लिए युद्धस्तर पर काम हो रहा है.

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भारत
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उत्तराखंड (Uttarakhand) के अलग-अलग इलाकों में पिछले कुछ दिनों से बारिश कयामत बनकर टूट रही है. चारधाम यात्रा के रास्तों में भारी भूस्खलन के बाद अब नैनीताल और रुद्रपुर में भारी तबाही हुई है. प्रभावित सभी जिलों में अब तक 46 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने भारी बारिश के बाद हुई तबाही पर कहा है कि बारिश धीमी हो गई है, लेकिन भारी नुकसान हुआ है.सड़के बह गई है. भूस्खलन हुए, नदियों ने अपने मार्ग बदल दिए, गांव प्रभावित हुए, पुल ढह गए. सामान्य होने में काफी समय लगेगा.

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स्थिति को संभालने के लिए युद्धस्तर पर काम

CM धामी ने बताया कि हमने आपदा से प्रभावित इलाकों का दौरा किया है.सबसे पहले ब्लॉक हुई सड़कों को साफ कर रहे हैं. पानी लोगों के घरों में घुस गया है, इसके लिए स्थानीय प्रशासन को यह देखने और व्यवस्था करने के लिए कहा गया है.लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है. आपदा में अपनी जांन गवाने वालों को 4 लाख का मुआवजा दिया जा रहा है.

सभी जिलों के डीएम को 10-10 करोड़ राहत कोष आपदा से निपटने के लिए दिया गया है सड़कों को साफ करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है. हम फंसे हुए पर्यटकों को बचा रहे हैं. चार धाम यात्रा पर स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है.
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अमित शाह करेंगे उत्तराखंड का दौरा

गृह मंत्री अमित शाह बुधवार शाम उत्तराखंड का दौरा करेंगे. वह बुधवार को समीक्षा बैठक भी करेंगे और गुरुवार को हवाई सर्वेक्षण भी करेंगे.

उत्तराखंड में बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बात की थी.

मोदी ने ट्वीट किया,

"मैं उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के कारण हुई जानमाल के नुकसान से दुखी हूं. घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं. प्रभावितों की मदद के लिए बचाव अभियान जारी है. मैं सभी की सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं."
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बारिश के चलते कुमाऊं में जनजीवन अस्त व्यस्त

मंगलवार की तड़के भिकियासैंण में मूसलधार बारिश से मकान गिर गया. कुछ लोग मलबे में दब गए. इसके अलावा बागेश्वर के कपकोट के भनार गांव में एक शख्स रास्ते में पहाड़ से गिर रहे पत्थरों की चपेट में आ गया. जिससे उसकी मौत हो गई है. इसके अलावा बागेश्वर में सरयू,गोमती का जलस्तर खतरे के निशान से केवल एक मीटर नीचे बह रहा है. कपकोट क्षेत्र के गांवों में भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है. कुमाऊं को शेष दुनिया से जोड़ने वाला गोला बाईपास का पुल क्षतिग्रस्त हो गया है.

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    NDRF की टीम बचाव कार्य में जुटी हुई

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    NDRF की टीम बचाव कार्य में जुटी हुई

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    NDRF की टीम बचाव कार्य में जुटी हुई

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    NDRF की टीम बचाव कार्य में जुटी हुई

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नैनीताल के अतिसंवेदनशील इलाकों के लोगों ने दहशत के बीच रात काटी

नैनी झील के निकासी द्वार खोलने से निकले पानी ने नाले के आसपास के मकान में रहने वालों में खलबली मच गई . यहां हल्द्वानी, कालाढूंगी रोड और भवाली रोड बंद होने से संपर्क टूट गया है. मंगलवार सुबह अखबार और दूध की सप्लाई भी बंद रही. बारिश से जिले की एक दर्जन से अधिक सड़कों पर यातायात ठप है. झील के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी से पानी नयना देवी मंदिर के साथ ही गुरुद्वारा, बोट हाउस क्लब के ग्राउंड फ्लोर तक पहुंच गया है. लोअर माल रोड तक झील का पानी पहुंच गया है.

भूस्खलन से मां -बेटे की मौत

शारदा, लोहावती, गंडक, लधिया समेत अन्य नदी नाले उफान पर है. एनएच समेत कई ग्रामीण सड़कों पर मलवा आने से बंद हो गई. सोमवार को सेलखोला में मां बेटे की मलवे में दबने से मौत हुई थी. पिथौरागढ़ में बारिश जारी है, नदियों का जलस्तर बढ़ता जा रहा है. जौलजीबी में काली और गोरी नदियों का जल स्तर बढ़ने से मेलास्थल में पानी भर गया है. नाचनी में रामगंगा नदी को जलस्तर बस्ती के मकानों के करीब पहुंच चुका है. एनएच में घाट से पिथौरागढ़ के मध्य दो स्थानों पर मार्ग बंद है.

अल्मोड़ा में गगास, कोसी, रामगंगा नदी उफान पर है. कई गाड़ियां मलबे में दब गई है. अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर खीनापानी क्षेत्र में मलबे में दबने से दो श्रमिकों की मौत की सूचना आ रही है. रेस्क्यू टीम को मूसलाधार बारिश और लगातार मलबा गिरने से शव निकालने में दिक्कत हो रही है. इसके अलावा सोमवार देर शाम को बाजपुर में घड़ी नदी के तेज बहाव में एक किसान बह गया है.

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भारत-चीन सीमा पर तीन पोर्टर लापता

उत्तराखंड के उत्तरकाशी से लगी भारत-चीन सीमा पर तीन पोर्टरों के लापता होने की सूचना है. तीनों पोर्टर भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की टीम के साथ सीमा पर लंबी दूरी गश्त के लिए रवाना हुए थे. जो वापसी के दौरान रास्ता भटक गए. बर्फबारी होने से मंगलवार देर शाम तक भी इन पोर्टरों का कोई पता नहीं चल पाया. जिसके बाद आईटीबीपी ने इन पोर्टरों को तलाशने के लिए वायु सेना और राज्य आपदा प्रबंधन से मदद मांगी है.

20-20 आईटीबीपी जवानों की टीम खोज के लिए रवाना

नागा और नीलापानी चौकी से भी बुधवार की सुबह 20-20 आईटीबीपी जवानों की टीम खोज और बचाव के लिए रवाना हुई है. राहत-बचाव अभियान में बर्फ रुकावट पैदा कर रहा है. यहां छह फीट बर्फ पड़ी हुई है. जिस वजह से अभियान में बाधा आ रही है. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि लंबी दूरी गश्त के लिए 15 अक्टूबर को तीन पोर्टरों के साथ आईटीबीपी की टीम भारत-चीन सीमा स्थित नीलापानी चौकी से सीमा के लिए रवाना हुई थी.

इस टीम में उत्तरकाशी जनपद के तीन पोर्टर भी थे. गश्त के बाद टीम वापस लौटी. टीम के साथ पोर्टर भी वापस लौट रहे थे, लेकिन 17 अक्तूबर को बर्फबारी होने के कारण पोर्टर आईटीबीपी की टीम से बिछड़ गए. इन पोर्टरों को 18 अक्तूबर को वापस नीलापानी स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस की चौकी पर लौटना था.

अभी आईटीबीपी की पहली प्राथमिकता तीन पोर्टरों को तलाशने की है. मंगलवार शाम को आईटीबीपी ने राज्य आपदा प्रबंधन से पोर्टरों की तलाश के लिए सहायता मांगी. हालांकि आपदा प्रबंधन के पास इस तरह के हेलीकॉप्टर नहीं हैं जो चार हजार मीटर से लेकर साढ़े चार हजार मीटर तक की ऊंचाई पर रेस्क्यू कर सकें.

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