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राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर पहनेगी पुलिस की वर्दी

कोर्ट ने कहा- संविधान जेंडर न्यूट्रल है. देश के किसी भी वयक्ति के साथ जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

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भारत
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क्या कोई किन्नर या ट्रांसजेंडर पुलिस में भर्ती नहीं हो सकता है? ये सवाल 2015 में राजस्थान हाई कोर्ट में उठा था. जब एक किन्नर गंगा कुमारी ने राज्य पुलिस में कॉन्स्टेबल के पोस्ट के लिए क्वालीफाई कर लिया था. लेकिन अब दो साल बाद हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए गंगा के हक में फैसला दिया है. मतलब गंगा राजस्थान की पहली किन्नर बन गई हैं जो पुलिस की वर्दी पहनेंगी.

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, साल 2013 में राजस्थान सरकार ने खाली पड़े 11,400 कांस्टेबल पोस्ट के लिए परीक्षा कराइ थी. जिसमें करीब 125,000 कैंडिडेट ने हिस्सा लिया था. इसी परीक्षा में जालोर जिले की गंगा कुमारी का भी चयन हुआ था.

लिखित परीक्षा के पास होने के बाद मेडिकल टेस्ट में गंगा के ट्रांसजेंडर होने की पुष्टि हुई. जिसके बाद उसकी नियुक्ति पर रोक लग गई. और पुलिस अधिकारी से लेकर गृह विभाग तक कोई भी सही फैसला नहीं कर सका. सही जवाब ना मिलने के बाद गंगा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिर दो साल बाद फैसला उसके हक में आया.

कोर्ट का फैसला, बदल देगी किन्नरों की किस्मत

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता ने फैसला सुनाते हुए राजस्थान सरकार को 6 हफ्ते के अंदर गंगा कुमारी की नियुक्ति का निर्देश दिया है. साथ ही ये भी कहा है कि उनकी इस नियुक्ति को साल 2015 से ही माना जाए. उन्होंने कहा,

संविधान जेंडर न्यूट्रल है. और देश के किसी भी वयक्ति के साथ जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

गंगा के वकील रितुराज सिंह ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि एक किन्नर पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल हुई और वह उसमें सफल हुई. लेकिन नियुक्ति के नियमों के चलते विभाग भ्रम में आ गया और परीक्षा पास करने के बावजूद गंगा कुमारी को कॉन्स्टेबल के रुप में नियुक्त नहीं किया गया. लेकिन अब खुशी की बात ये है कि आखिर में जीत हासिल हुई है.

बता दें कि गंगा देश की तीसरी किन्नर है जो पुलिस में भर्ती हुई है. अगर 2015 में ही गंगा की नियुक्ति हो जाती तो वो देश की पहली किन्नर होती जो पुलिस में भर्ती होती.

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