शैक्षणिक नगरी के नाम से विख्यात राजस्थान (Rajasthan) के कोटा में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने आने वाले स्टूडेंट्स में खुदकुशी से मौत के मामले लगातार बढ रहे हैं. राज्य सरकार ने आत्महत्या से छात्रों की मौत का आंकड़ा जारी किया है. राज्य सरकार की तरफ से जारी अधिकृत आंकड़ों में बताया गया है कि पिछले चार साल में अकेले कोटा (Kota) में 52 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है.
पूरे कोटा संभाग में ऐसे 53 मामले दर्ज किए गए जिसमें से 52 अकेले कोटा के हैं. सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों में यह भी बताया गया है कि आत्महत्या करने वालों में 21 छात्राएं है.
सरकार ने कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या के कई प्रमुख कारण भी गिनाए हैं. पढ़ाई में पिछडे़ जाने के कारण उनमें आत्मविश्वास की कमी होना, माता-पिता की छात्रों से उच्च महत्वकांक्षा होना, छात्रों में शारीरिक और मानसिक और पढ़ाई संबंधी तनाव होना, आर्थिक तंगी, ब्लैकमेलिंग और प्रेम प्रसंग को अहम कारण माना है.
विधानसभा में कोटा खुदकुशी पर बहस
बारां-अटरू से कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल के विधानसभा में तारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने कहा कि कोचिंग संस्थाओं पर नियत्रंण के लिए कानून बनाने के लिए राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट बिल 2023 लाया जा रहा है. सरकार ने जवाब में बताया कि कोटा संभाग में पिछले 4 सालों में 2019 से 2022 तक स्कूल, कॉलेज और कोचिंग सेंटर के स्टूडेंट्स की आत्महत्या के 53 मामले दर्ज हुए. इनमें से 52 कोटा शहर की कोचिंगों के हैं.
विधायक पानाचंद मेघवाल ने कहा कि देश के कोने-कोने से स्टूडेंट अपना भविष्य बनाने के लिए कोटा आते हैं, लेकिन जब ये स्टूडेंट्स आत्महत्या जैसा हृदय विदारक कदम उठाते हैं तो ये समाज और सरकार के लिए चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि कोचिंग करने वाले छात्रों की सुरक्षा और काउंसलिंग के उचित प्रबंध किये जाने जरूरी हैं.
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