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"2 आतंकी बचे, मारकर आऊंगा": राजौरी में शहीद जवान सचिन लौरा की 8 दिसंबर को थी शादी

Rajouri Encounter: शहीद के पिता रमेश चंद्र ने कहा, "सचिन से कल फोन पर बात हुई थी, तो उससे कहा था कि शादी है घर आ जा."

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"2 आतंकी और बचे हैं, उन्हें मारकर ही आउंगा", ये वो आखिरी शब्द हैं, जो पैराट्रूपर जवान सचिन लौरा ने अपने परिजनों से फोन पर बात करते हुए कहा था. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ निवासी भारतीय सेना के जवान सचिन लौरा जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए. परिजनों ने बताया कि 8 दिसंबर को सचिन की शादी थी, वो घर आने वाले थे लेकिन अब सारी खुशियां मातम में बदल गई हैं.

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एक दिन पहले परिजनों से फोन पर की थी बात

अलीगढ़ के नगलिया गोरौला गांव के रहने वाले सचिन की नौकरी 2019 में सेना में लगी थी. एक दिन पहले सचिन ने अपने परिजनों से फोन पर बात की थी और कहा कि "दो लोग (आतंकवादी) और रह गए हैं, बस इन्हें मारकर आता हूं." लेकिन किसी को क्या पता कि ये सचिन और परिवार के बीच आखिरी बात होगी.

"दो आतंकियों को मारकर ही आऊंगा"

शहीद के पिता रमेश चंद्र ने कहा, "सचिन से कल फोन पर बात हुई थी, तो उससे कहा था कि शादी है घर आ जा. लेकिन उसने कहा कि दो आतंकी और गए हैं, उनको मारकर ही आऊंगा, बस इसके बाद उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया था."

जिस लड़की से सचिन की शादी होने वाली थी, उससे भी उसकी (सचिन) बात हुई थी. उससे भी सचिन ने कहा था कि मोबाइल कभी भी बंद हो जाएगा, बस दो और रह गए हैं, जिन्हें मारकर आ जाऊंगा.
रमेश चंद्र लौरा, शहीद जवान सचिन लौरा के पिता

"उग्रवादियों को हम देखेंगे.. कैसे नहीं मानते"

रमेश चंद्र ने आगे कहा, "सचिन साढ़े 6 फीट लंबा था और बहुत निडर था, उसे बचपन से ही सेना में जाने का शौक था. इसके लिए उसने बहुत मेहनत की थी. कहता था कि उग्रवादियों को हम देखेंगे.. कैसे नहीं मानते."

उसने कहा था कि जितने आतंकियों को हम मार लेंगे, उतना ही अच्छा हमारा प्रमोशन हो जाएगा. तो इन दोनों को और मार लेने दो, इन्हें मारकर आ जाऊंगा. 2019 में सेना में आखिरी बात जो भर्ती पूर्णकालिक हुई थी, उसमें ही वो भर्ती हुआ था.
रमेश चंद्र लौरा, शहीद जवान सचिन लौरा के पिता
सचिन का बड़ा भाई विकास मर्चेंट नेवी में कार्यरत है. एक बड़ी बहन हैं, जिसकी शादी हो चुकी है.

देश के लिए शहीद हुआ बेटा

इधर, सचिन के शहीद होने की खबर मिलने के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया. बदहवास मां बार-बार घर से बाहर निकलकर अपने बेटे का नाम लेते हुए उसे तलाश कर रही हैं. बेबस पिता की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. उनका कहना है कि बेटा देश के लिए शहीद हो गया. इससे बड़ा सम्मान देश के लिए क्या होगा. इतना कहकर फिर आंखों से आंसू बहने लगते हैं. सचिन परिवार में सबसे छोटा था.

(इनपुट-मुकेश गुप्ता)

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