शीतकालीन सत्र के दौरान जारी हंगामे के बीच बीते हफ्ते राज्यसभा (Rajya Sabha) के निर्धारित बैठक के समय का 52 प्रतिशत से अधिक वक्त हंगामे और विरोधों के कारण खराब हो गया. लेकिन बीते गुरुवार 02 दिसम्बर और 03 दिसम्बर शुक्रवार को पूरी गति के साथ होते काम ने सामान्य कामकाज की वापसी की उम्मीद को बहाल किया.
विपक्षी सांसद कई मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से राज्य सभा से 12 सांसदों को मानसून सत्र के आखिरी दिन हंगामे के लिए निलंबित करना शामिल है.
12 निलंबित सांसदों की वजह से कार्यवाही में आई बाधा
विपक्ष ने इस निलंबन को "अलोकतांत्रिक" और "सेलेक्टिव" बताया है, सभापति एम वेंकैया नायडू ने निलंबन वापस लेने से मना कर दिया है. निलंबन वापिस न लेने का कारण यह बताया गया है कि निलंबित सदस्यों ने "पश्चाताप व्यक्त नहीं किया है." हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा है कि इस सदन को अपने फैसले पर विचार करना है. और यह इससे सम्बंधित सभी के लिए है कि इसे आगे बढ़ाया जाए.
निलंबित सांसद संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि अगर विपक्षी सांसद माफी मांगते हैं तो निलंबन रद्द करने पर विचार किया जा सकता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार एक रिलीज में कहा गया था कि पिछले सप्ताह के दौरान सदन की प्रोडक्टिविटी निर्धारित समय की 47.70 प्रतिशत रही है. इसमें यह भी कहा गया कि सदन गुरुवार को निर्धारित समय से 33 मिनट ज्यादा के लिए बैठ गया. जिससे एक हफ्ते के लिए कुल प्रोडक्टिविटी बढ़कर 49.70 प्रतिशत हो गई थी.
02 दिसम्बर और 03 दिसम्बर शुक्रवार को राज्य सभा में इस हफ्ते के लिए सबसे ज्यादा प्रोडक्टिविटी -क्रमशः 95 प्रतिशत और 100 प्रतिशत दर्ज की गई.
रिलीज में कहा गया है कि सदन ने शुक्रवार को पूरे ढाई घंटे के निर्धारित समय के लिए गैर-सरकारी सदस्यों के कार्य को पूरा किया. पिछली बार ऐसा 7 फरवरी, 2020 को बजट सत्र के दौरान हुआ था.
(न्यूज इनपुट्स- एनडीटीवी)
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