बेबाकी और बोल्डनेस में राम जेठमलानी का कोई जवाब नहीं था. कई बार वह इसकी सीमा लांघ जाते थे. ऐसे ही एक मामला तब सामने आया था जब शेयर मार्केट में बड़ा घोटाला कर चुके हर्षद मेहता ने दावा किया था कि पीएम नरसिंह राव को उसने 67 लाख रुपये की रिश्वत दी है.उसने दावा किया कि पीएम को उसने एक सूटकेस में घूस की रकम दी थी. हर्षद मेहता ने इस बारे में एक कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया था और इसमें उनका साथ देने बैठे थे राम जेठमलानी.
क्या था हर्षद मेहता का आरोप?
हर्षद मेहता ने 16 जून 1993 को मुंबई की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाया था कि उसने पी.वी. नरसिंह राव को एक करोड़ रुपए से भरा एक सूटकेस उनके घर पर दिया. हर्षद मेहता ने कहा कि वह अपने साथ प्रधानमंत्री आवास एक सूटकेस ले गया था. उसमें 67 लाख रुपये थे. प्रेस कांफ्रेंस में मेहता ने कहा कि उसने सूटकेस राव के पर्सनल सेक्रेट्री राम खांडेकर को दे दिया. ऐसा उसने प्रधानमंत्री के कहने पर किया. एक करोड़ देने की बात थी, पर उस दिन सुबह तक 67 लाख का ही इंतजाम कर सका था. दूसरे दिन बाकी रकम पहुंचा दी
हर्षद ने उस प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उसने प्रधानमंत्री को यह भी बताया था कि शेयर बाजार में पैसे कमाना कितना आसान है. उसने कहा कि वह शपथ पत्र दाखिल कर प्रधानमंत्री को पैसे देने की बात कही है. हर्षद मेहता ने 16 जून 1993 को मुंबई की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाया था कि उसने पी.वी. नरसिंह राव को एक करोड़ रुपए से भरा एक सूटकेस उनके घर पर दिया.
जेठमलानी से पूछा गया कि क्या हर्षद मेहता प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल कर रहा है? इस सवाल पर जेठमलानी ने कहा कि सवाल यह है कि वह ऐसा भला क्यों करेगा? वह 111 दिन पुलिस कस्टडी में रहते हुए ब्लैकमेल कर सकता था. लेकिन तब उसने ऐसा नहीं किया.
जेठमलानी ने कहा था,पीएम के रिश्वत लेने की बात साबित कर देंगे
जेठमलानी से पूछा गया था कि क्या हर्षद मेहता की कही गई बातों को आप साबित कर सकते हैं? तो उन्होंने कहा कि उनके पास इतने सबूत हैं कि अग्नि परीक्षा से भी बखूबी गुजर सकते हैं. जरूरत पड़ेगी तो हम प्रमाणों को पेश कर देंगे.
बहरहाल पर पीएम पर रिश्वत लेने का आरोप साबित नहीं हो सका. लेकिन न तो झूठा आरोप लगाने के आरोप में हर्षद मेहता को सजा हुई और न ही घूस लेने के आरोप में नरसिंह राव को.नरसिंह राव पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने आंध्र के नांदियाल लोकसभा उपचुनाव में खर्च करने के लिए हर्षद मेहता से पैसे लिए थे.
दरअसल 1991 में जब वह पीएम बनने थे तो संसद के किसी सदन के सदस्य नहीं थे. बाद में वे नंदियाल से जीत कर आए. तब लोकसभा कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं था. तब झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को रिश्वत देकर नरसिंह राव ने अपनी सरकार बचाई थी. रिश्वत लेकर वोट देने का आरोप बाद में साबित भी हो गया. पर उसको लेकर किसी को सजा इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि अदालत को इसका अधिकार नहीं है.
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