उत्तर प्रदेश में अब सरकारी दस्तावेजों में संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर के नाम के साथ 'रामजी' जोड़ा जाएगा. राज्य की योगी सरकार ने डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम बदलकर डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर करने के लिए बुधवार को सभी विभागों को आदेश जारी कर दिया है.
खबरों के मुताबिक, योगी सरकार ने यह फैसला राज्यपाल राम नाईक के सुझाव पर लिया है. बता दें कि आंबेडकर महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते थे और महाराष्ट्र में अपने नाम के साथ पिता का नाम लगाने की परंपरा है. ऐसे में नाईक का कहना था कि बाबा साहेब के नाम के साथ भी उनके पिता का नाम जोड़ा जाना चाहिए.
क्यों जोड़ा जा रहा है नाम के साथ 'रामजी'?
राज्यपाल राम नाईक का कहना है कि बाबा साहब के नाम के साथ रामजी ना जोड़कर उनका अधूरा नाम लिया जाता रहा है. नाईक ने कहा कि बाबा साहेब का पूरा और सही नाम डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर है, इसलिए इसे बदलना चाहिए. इसी कड़ी में योगी सरकार ने बुधवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम बदलकर डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर करने के लिए सभी विभागों को आदेश जारी कर दिया.
संविधान के एक पेज पर भी बाबा साहब का डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के नाम से हस्ताक्षर शामिल है. राज्यपाल राम नाईक ने दिसंबर 2017 में पहली बार बाबा साहब का नाम बदलने का मुद्दा उठाया था.नाईक ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और महासभा को पत्र लिखकर आंबेडकर के नाम का सही उच्चारण और सही नाम लिखने की अपील की थी.
बाबा साहब के पिता का नाम ‘रामजी’ था. महाराष्ट्र में पुरानी परंपरा के आधार पर पिता का नाम बेटे के नाम के साथ लगाया जाता था इसलिए ‘रामजी’ नाम जोड़ा जा रहा है.
बाबा साहब के नाम बदलने के लिए संविधान की आठवीं अनुसूची की मूल प्रति को आधार बनाया गया है, जहां डॉ. भीमराव आंबेडकर के डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के रूप में हस्ताक्षर दर्ज हैं.
बता दें कि 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती भी है, ऐसे में सरकार के इस फैसले के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
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