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मिलिए हिन्दी साहित्य के विलियम वर्ड्सवर्थ से

सुमित्रानंदन पंत: इनकी रचनाओं को आपने स्कूल में पढ़ा होगा, अब जानिए इनके बारे में कुछ खास बातें

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(सुमित्रानंदन पंत के जन्मदिन पर इस आर्टिकल को दोबारा पब्लिश किया जा रहा है.)

हिन्दी साहित्य के सिरमौर सुमित्रानन्दन पंत का आज जन्मदिन है. सुमित्रानंदन का वास्तविक नाम गुसाईं दत्त था. उनका जन्म 20 मई 1900 को कौशानी, उत्तराखंड में हुआ था. यूं तो हिंदी साहित्य जगत में ऐसे कई साहित्यकार थे जो प्रकृति चित्रण में महारत रखते थे, लेकिन सुमित्रानंदन पंत का कद बाकियों से काफी ऊंचा था.

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छायावाद के कुल 4 स्तंभो में सुमित्रानंदन पंत एक थे, बाकी तीन थे - महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला.

संस्कृत से प्रभावित हिंदी में लिखते थे पंत

पद्म भूषण और ज्ञानपीठ अवार्ड से सम्मानित सुमित्रानंदन पंत प्रोग्रेसिव वाम विचारधारा के कवि थे.
एक मिडिल क्लास ब्राह्मण परिवार में जन्में पंत को ग्रामीण भारत से काफी लगाव था और ये उनकी रचनाओं में झलकता भी है. संस्कृतनिष्ठ हिंदी में लिखने वाले पंत की 28 रचनाओं में कविताएं, नाटक और लेख शामिल हैं.

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सुमित्रानंदन पंत को हिन्दी साहित्य का विलियम वर्ड्सवर्थ भी कहा जाता है.

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पंत महात्मा गांधी और कार्ल मार्क्स की विचारधारा से प्रभावित थे.

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सुमित्रानंदन पंत को पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया.

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प्रमुख रचनाओं में छायावादी शैली में, बिगड़ा पल्लव और गुंजन, कला और बूढ़ा चांद , चिदंबरा हैं.

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सुमित्रानंदन पंत की मृत्यु 28 दिसंबर 1977 को हुई.

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