रविदास मंदिर तोड़ने के खिलाफ हुए प्रदर्शन में दंगा करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद समेत सभी 96 लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. सभी 96 लोगों को गुरुवार, 22 अगस्त को कालकाजी पुलिस स्टेशन में जज के सामने पेश किया गया था. सभी 96 आरोपियों को दिल्ली के अलग-अलग जेलों, जैसे तिहाड़ और रोहिणी जेल में ले जाया गया है.
आरोपियों के वकील ने कहा कि वो इसे चुनौती देंगे. शुक्रवार, 23 अगस्त को कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की जाएगी.
21 अगस्त को रविदास मंदिर गिराए जाने के विरोध में दलितों ने विरोध प्रदर्शन किया था, जिसने बाद में हिंसक रूप ले लिया था. पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए ‘हल्का लाठीचार्ज’ और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा था.
आजाद को दिल्ली के साकेत कोर्ट में पेश किया जाना था, लेकिन कोर्ट परिसर में हंगामे के डर से पुलिस स्टेशन में मामले की सुनवाई की गई. कालकाजी पुलिस स्टेशन में, जज ने सभी 96 आरोपियों की एक-एक कर दलील सुनी. इस कार्यवाही को पूरा होने में करीब 4 घंटे का समय लग गया.
पुलिस स्टेशन के अंदर सुनवाई होने के कारण, किसी भी मीडिया पर्सन को अंदर घुसने की इजाजत नहीं थी.
पुलिस के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने दो मोटरसाइकिलों में आग लगा दी और कारों और पुलिस वाहन में तोड़-फोड़ की. इस घटना में कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए.
इसके बाद चंद्रशेखर और करीब 95 अन्य को बुधवार रात तुगलकाबाद इलाके से हिरासत में लिया गया.
‘दंगा करने, अवैध रूप से एकत्र होने, लोकसेवक को उसका कर्तव्य पूरा करने से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुंचाने, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने और अन्य आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है.’देवेश श्रीवास्तव, ज्वाइंट कमिश्नर, सदर्न रेंज
अधिकारी ने कहा कि वो इलाके में चौकसी बरत रहे हैं और हालात पर नजर रखे हुए हैं।
दिल्ली विधानसभा में भी हंगामा
वहीं, दिल्ली विधानसभा में भी मंदिर तोड़े जाने को लेकर हंगामा हुआ. 22 अगस्त को AAP विधायकों ने अध्यक्ष के पोडियम के समक्ष जाकर मंदिर तोड़े जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. हाथ में पोस्टर पकड़े विधायकों ने आवास व शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और बीजेपी के खिलाफ नारे लगाए. AAP विधायक अजय दत्त ने विध्वंस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए सदन में अपना कुर्ता फाड़ लिया.
AAP विधायकों ने अपने सीट पर जाने से इनकार कर दिया, जिससे विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को सदन की कार्यवाही शुरू करने के घंटे भर के भीतर सदन को दो बार स्थगित करना पड़ा.
SC के आदेश पर तोड़ा गया था मंदिर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 10 अगस्त को मंदिर गिराया था. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को मंदिर स्थल तक जाने की अनुमति नहीं दी थी, जिसके कारण प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए.
प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि सरकार तुगलकाबाद में जमीन समुदाय को सौंपे और मंदिर का पुनर्निर्माण कराया जाए.
(भाषा और IANS के इनपुट्स के साथ)
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