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RBI कागजात ने खोली पोल,नोटबंदी पर सरकार ने गुमराह किया?

आरबीआई के मिनट्स में सरकार के कई फैसलों पर आपत्ति जताई गई थी

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आरबीआई के दस्तावेजों से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नोटबंदी का ऐलान करने से पहले आरबीआई ने इसके पक्ष में दी जा रही दो दलीलों को खारिज कर दिया था. पीएम ने कहा था कि काले धन और नकली नोटों का सर्कुलेशन खत्म करने के लिए नोटबंदी की जा रही है. लेकिन केंद्रीय बैंक इससे सहमत नहीं था.

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आखिर अब ये बात क्यों सामने आई

दरअसल, इस राज का खुलासा अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को हाथ लगे मिनट्स से हुआ है. अखबार के हाथ आरबीआई की 561वीं बैठक से पहले के मिनट्स हाथ लग गए. नई दिल्ली में शाम साढ़े पांच बजे हड़बड़ी में बुलाई गई इस बैठक के मिनट्स पर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के दस्तख्त थे.

15 दिसंबर के उर्जित पटेल के दस्तख्त वाले इस मिनट्स में सरकार के इस दावे से असहमति जताई गई थी कि नोटबंदी से ब्लैकमनी और नकली नोटों का खात्मा हो जाएगा. मिनट्स में छह और आपत्तियां जताई गई थीं. ये बातें खास तौर पर आरबीआई की निगाहों में आई थीं.

मिनट्स में ब्लैकमनी और नकली नोटों के बारे में क्या कहा गया था

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ब्लैक मनी के बारे में आरबीआई का कहना था कि ज्यादातर ब्लैकमनी कैश के तौर पर नहीं बल्कि सोना और रियल एस्टेट के तौर पर जमा है. ऐसी संपत्तियों पर सरकार के इस कदम का कोई असर नहीं पड़ेगा.

नोटबंदी से पहले सरकार ने आरबीआई को कहा था कि देश में देश में 500 और 1000 के नोट के तौर पर 400 करोड़ रुपये के नकली नोट हैं. लेकिन आरबीआई ने अपने मिनट्स में कहा था कि नकली नोटों का सिस्टम में होना चिंताजनक है. लेकिन देश में जो करंसी सर्कुलेशन में है उसमें 400 करोड़ रुपये कोई खास मायने नहीं रखते.   

मिनट्स में और क्या कहा गया था?

आरबीआई ने सरकार के फैसले पर और कई सवाल उठाए थे. आरबीआई का कहना था कि इससे शॉर्ट टर्म में जीडीपी में गिरावट आएगी. ऐसा हुआ भी. वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घट कर तीन साल के निचले स्तर यानी 5.7 फीसदी पर पहुंच गई थी. हालांकि आरबीआई ने फाइनेंशियल इनक्लूजन और डिजिटल इकनॉमी को रफ्तार देने की कोशिश के मोर्चे पर सरकार की तारीफ की थी.

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क्या आरबीआई को अंधेरे में रखा गया?

ऐसा नहीं था. मिनट्स से पता चलता है कि नोटबंदी को लेकर सरकार और आरबीआई के बीच ऐलान से छह महीने पहले तक बातचीत होती रही थी. हालांकि मिनट्स में कहा गया था कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद जनता के व्यापक हित में सर्कुलेशन में मौजूद 500 और 1000 के नोट वापस ले लिए जाएं.

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