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"PM मोदी का फैसला फिर गलत"- ₹2000 के नोट वापस मंगाने पर कांग्रेस-अखिलेश ने घेरा

RBI withdraw Rs 2000 currency note: "कुछ लोगों को अपनी गलती देर से समझ आती है"- अखिलेश यादव

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भारत
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RBI withdraw Rs 2000 currency note: भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 रुपए के नोट पर कैंची चलाने का फैसला लिया है. ऐसे में अब 23 मई से 30 सितंबर तक आप अपने 2000 रुपए मूल्य के नोट को बदल सकते हैं. इसको लेकर विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है. विपक्ष RBI के फैसले को केंद्र से जोड़कर देख रहा है. हालांकि, RBI ने 2000 मूल्य के नोट क्यों बंद किए इसकी वजह भी बताई है? लेकिन, आए जानते हैं कि विपक्ष का क्या कहना है?

RBI के 2000 रुपए मूल्य के नोट को वापस बुलाने के फैसले पर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि...

"हमेशा की तरह PM मोदी का एक और फैसला गलत साबित हुआ. 2000 के नोट अब चलन में नहीं रहेंगे. याद रहे- नोटबंदी के तानाशाही फैसले के बाद इस नोट को लाया गया था. दावा था कि इससे कालाधन खत्म हो जाएगा, भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा. सारे दावे पलट गए, अब बिना सोचे-समझे लिया गया ये फैसला भी पलट गया. मोदी जी... आपसे गुजारिश है- बचकाने फैसले लेना बंद कीजिए."

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि "कुछ लोगों को अपनी गलती देर से समझ आती है… 2000/- के नोट के मामले में भी ऐसा ही हुआ है लेकिन इसकी सजा इस देश की जनता और अर्थव्यवस्था ने भुगती है. शासन मनमानी से नहीं, समझदारी और ईमानदारी से चलता है."

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वहीं, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट किया कि...

"तो यह ₹2000 का धमाका नहीं था बल्कि एक बिलियन भारतीयों के लिए एक बिलियन डॉलर का धोखा था. जागो मेरे प्यारे भाइयों और बहनों. नोटबंदी के कारण हमने जो पीड़ा झेली है, उसे भुलाया नहीं जा सकता और जिसने यह कष्ट दिया, उसे माफ नहीं किया जाना चाहिए."

BRS पार्टी के नेता YSR ने ट्वीट कर कहा कि " RBI 2000 रुपये के नोट को चलन से हटाएगा, लेकिन यह वैध मुद्रा बनी रहेगी. मोदी सरकार की विजनलेस योजना और अक्षम कार्यान्वयन का परिणाम है."

पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने भी RBI के इस फैसले पर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि...

"500 और 1000 रुपए के नोटबंदी का निर्णय और उसके बदले 2000 रुपए मूल्य को चलन में लाना सरकार का मूर्खतापूर्ण निर्णय था. 2000 रुपये का नोट कभी भी 'साफ' नोट नहीं था. इसका उपयोग अधिकांश लोगों द्वारा नहीं किया गया था. इसका उपयोग लोग केवल अपने काले धन को अस्थायी रूप से रखने के लिए करते थे!"

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