ADVERTISEMENTREMOVE AD

संसद पर हमला: “वो 40 मिनट हमें जिंदगी भर का जख्म दे गए”

संसद हमले में शहीद रामपाल के परिवार की कहानी

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

13 दिसंबर 2001. जब देश की संसद पर आतंकियों ने धावा बोल दिया. प्रतीकों के लिहाज से ये बहुत बड़ा हमला था. उस इमारत पर आतंकवादी हमला, जो लोकतंत्र का मंदिर है. जहां इस देश के कानून बनते हैं. इसी हमले में शहीद हुए थे रामपाल. दिल्ली पुलिस में एएसआई, रामपाल. तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के ड्राइवर रामपाल.

भुलाए नहीं भूलता वो दिन

संसद हमले को 17 बरस गुजर चुके हैं, लेकिन शहीद रामपाल के पूरे परिवार को न वो दिन भूलता है और न ही वो दर्दनाक लम्हा जब रामपाल उनके बीच से चले गए. एक मां पीछे छूट गई. पत्नी अकेली हो गईं और बेटे...बेटों को तो जैसे कुछ समय तक ये एहसास जज्ब ही नहीं हुआ कि उन पर प्यार बरसाने वाले पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे. पिता को याद करते हुए बड़े बेटे करमवीर ने क्विंट को बताया:

मां को संभालना भी एक बहुत बड़ा संघर्ष था उस वक्त. हम भी छोटे थे, पापा भी रहे नहीं थे. पढ़ाई लिखाई करना तो दूर स्कूल जाना मुश्किल हो गया था,  छोटा भाई काफी छोटा था, बहुत ही समस्या हो गई थी, उसके बाद धीरे-धीरे खड़े हुए...
करमवीर, संसद हमले में शहीद रामपाल के बेटे

क्या हुआ था उस दिन?

13 दिसंबर 2001 को रामपाल हर दिन की तरह अपना फर्ज निभा रहे थे. वो उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की गाड़ी में थे. तभी पीछे से एक एंबेसडर आई और उनकी कार से टकरा गई. जब इस बात को लेकर, एंबेसडर के ड्राइवर से उनकी झड़प हुई तो उसने चेतावनी देने के बाद गोली चला दी. एएसआई रामपाल शहीद हो गए. रामपाल की मां बेटे को भूलना भी चाहें तो भला कैसे? वो रोते हुए कहती हैं:

बेटे की याद कैसे नहीं आएगी, मेरा बालक चला गया
शहीद रामपाल की मां
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पति के बाद पूरे परिवार को संभाला

शहीद रामपाल की पत्नी भगवनी के लिए ये 16 साल संघर्ष से भरे रहे. बच्चों को पढ़ाना, उनकी परवरिश, परिवार को संभालना सब खुद किया. रामपाल आज नहीं हैं लेकिन जिस हिम्मत और हौसले से उन्होंने देश की सेवा की, वो हौसला आज भी परिवार का जज्बा बढ़ाता है.

ये भी पढ़ें- संसद पर हमला: एक आतंकवादी का सनसनीखेज इंटरव्यू और कबूलनामा

रिपोर्टर- प्रोड्यूसर- शादाब मोइज़ी

कैमरा- शादाब मोइज़ी

वीडियो एडिटर- मोहम्मद इरशाद आलम

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×