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‘फेक न्यूज’ फैलाने वालों पत्रकारों की खत्म होगी मान्यता

सरकार के फैसले पर मीडिया जगत से मुखर हुए विरोध के सुर

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भारत
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सोशल मीडिया के जरिए 'फेक न्यूज' फैलाने पर अब सरकार सख्त हो गई है. सरकार ने मान्यता प्राप्त पत्रकारों को लेकर बनी गाइडलाइन में संशोधन किया है. इसके तहत अब 'फेक न्यूज' फैलाने पर पत्रकारों की मान्यता भी रद्द की जा सकती है.

सूचना प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को पत्रकारों की मान्यता को लेकर संशोधित गाइडलाइन जारी की. इसमें 'फेक न्यूज' से निपटने के लिए कई नए प्रावधानों को शामिल किया गया है.

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फेक न्यूज की होगी जांच

सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसी भी तरह की 'फेक न्यूज' के बारे में शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी. प्रिंट मीडिया से संबंधित शिकायतों की जांच प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया करेगा. जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबंधित शिकायतों को जांच के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के पास भेजा जाएगा. ये दोनों संस्थाएं ही तय करेंगी कि जिस खबर की शिकायत की गई है, वह 'फेक न्यूज' है या नहीं.

जानकारी के मुताबिक, शिकायतों पर जांच के लिए 15 दिन का वक्त तय किया गया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने एक ट्विटर यूजर को दी गई प्रतिक्रिया में कहा, 'यह बताना उचित होगा कि फेक न्यूज के मामले पीसीआई और एनबीए द्वारा तय किए जाएंगे, दोनों एजेंसियां भारत सरकार द्वारा रेगुलेट या ऑपरेट नहीं की जाती हैं.'

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फैसले के विरोध में उठे सुर

सरकार के इस कदम का विरोध भी हो रहा है. मीडिया जगत से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि यह मीडिया का गला घोंटने की कोशिश के तहत उठाया जा रहा सरकार का अलोकतांत्रिक कदम है. वरिष्ठ पत्रकार सुहासिनी हैदर ने ट्विटर पर लिखा, 'सरकार के आदेश के मुताबिक सजा सिर्फ उन्हें मिलेगी जो मान्यता प्राप्त हैं. उन्हें सिर्फ शिकायत के आधार पर ही दंड दे दिया जाएगा, अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा नहीं की जाएगी. मुझे नहीं लगता कि यह उचित है.'

‘मुख्यधारा की मीडिया पर हमला’

वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने भी सरकार के इस कदम का विरोध किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'ऐसी गलती न करें. यह मुख्यधारा की मीडिया पर असाधारण हमला है. यह वैसा ही है जैसा राजीव गांधी का एंटी डेफमेशन बिल था. समूची मीडिया को अपने मतभेद भुलाकर इसका विरोध करना चाहिए.'

इस पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जवाब में लिखा, 'कमेटी में वरिष्ठ अधिकारी, पीसीआई, एनबीए और आईबीएफ के प्रतिनिधि होंगे. जब तक कोई रेगुलेशन नहीं आ जाता, न्यूज पोर्टल्स के लिए नियम लागू नहीं किए जा सकते.'

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, 'अगर PCI या NBA इस बात की पुष्ट‍ि कर देती हैं कि प्रकाशि‍त या प्रसारित समाचार फर्जी था, तो ऐसे ‘फेक न्यूज’ को तैयार या प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार पत्रकारों की मान्यता पहली गलती पर छह माह, दूसरी गलती पर एक साल और तीसरी गलती पर स्थायी रूप से मान्यता खत्म कर दी जाएगी.'

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