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Rishabh Pant Accident: क्या दो विभागों के बीच टालमटोल बना हादसे का कारण?

डॉक्टरों का कहना है कि ऋषभ पंत को रिकवर करने में 2 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है.

Published
भारत
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30 दिसंबर को कार हादसे का शिकार हुए इंडियन क्रिकेटर ऋषभ पंत (Rishabh Pant Health Update) का इलाज देहरादून के निजी अस्पताल में चल रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि ऋषभ पंत को रिकवर करने में 2 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है. ऐसे में ऋषभ पंत के एक्सीडेंट के कारण को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अस्पताल में ऋषभ पंत से मुलाकात करने के बाद पंत को नींद की झपकी आना और हाईवे के गड्ढों एक्सीडेंट का कारण बताया था. हालांकि घटनास्थल पर मौजूद रहे स्थानीय लोग लगातार सिंचाई विभाग की छोटी नहर के एक हिस्से को हादसे का कारण बता रहे हैं.

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मिट्टी का टीला बनता है हादसों का कारण

हरिद्वार जिले की मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाली नारसन पुलिस चौकी के लगभग सामने एनएच 58 पर जिस जगह पर ऋषभ पंत की कार का एक्सीडेंट हुआ वहां हाईवे बेहद संकीर्ण है. यहां सिंचाई विभाग की छोटी नहर का एक हिस्सा हाईवे में अंदर की तरफ लगभग 2 मीटर तक फैला हुआ है. जिसकी वजह से लगभग 20 मीटर की दूरी तक हाईवे की चौड़ाई सामान्य से कम हो जाती है.

ऐसी स्थिति में दिल्ली की ओर से आ रहे तेज रफ्तार वाहनों को अचानक से गाड़ी को कंट्रोल कर पाना मुश्किल होता है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि ऋषभ पंत की तेज रफ्तार कार के सामने जैसे ही मिट्टी का टीला आया होगा तो उन्होंने कार को राइट टर्न लिया होगा. कार की रफ्तार तेज होने के कारण कार डिवाइडर पर चढ़ गई.

डॉक्टरों का कहना है कि ऋषभ पंत को रिकवर करने में 2 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है.

हादसे और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद जागा विभाग

(फोटो- क्विंट हिंदी) 

सिंचाई विभाग लापरवाह या एनएचआई की जिम्मेदारी?

एनएचएआई की टेक्निकल विंग के अधिकारी राघव त्रिपाठी ने बताया कि नेशनल हाईवे बनने का काम शुरू होने से लेकर प्रोजेक्ट पूरा होने तक कई बार सिंचाई विभाग से नहर शिफ्ट करने के लिए पत्राचार किया गया.

लेकिन सिंचाई विभाग ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. जिसकी वजह से नहर का हाईवे के अंदर आने वाला हिस्सा हटाया नहीं जा सका और वहां हाईवे संकरा बना हुआ है. हालांकि वहां पर मार्किंग की गई है ताकि उधर से आने वाले वाहन सावधानी पूर्वक चल सकें.

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हादसे और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद जागा विभाग

30 दिसंबर की सुबह जब ऋषभ पंत का एक्सीडेंट हुआ तो वहां जमा हुई सैकड़ों स्थानीय लोगों की भीड़ ने संकरी रोड और मिट्टी के टीले को ही हादसे का कारण बताया. स्थानीय निवासी और दुर्घटना को करीब से देखने वाले परमेंद्र कुमार का कहना है कि इस पॉइंट पर अक्सर हादसे होते रहते हैं. लेकिन विभाग इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा.

वहीं रवि का कहना है कि हाईवे बनने के बाद से यहां आए दिन हादसे होते हैं. जिसमें कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. प्रशासन और अधिकारियों की लापरवाही लोगों की जान पर भारी पड़ रही है. हादसे से सबक लेते हुए अगले दिन मौके पर पहुंची एनएचएआई की टीम ने रोड पर रिफ्लेक्टर लगा दिए हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि ऋषभ पंत को रिकवर करने में 2 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है.

हादसे और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद जागा विभाग

(फोटो- क्विंट हिंदी)

एक्सीडेंट के बाद गड्ढों पर सियासत

ऋषभ पंत से हॉस्पिटल में मिलने पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया था की ऋषभ पंत का एक्सीडेंट नींद की झपकी आने और गड्ढों के कारण हुआ है.

मुख्यमंत्री के मुंह से गड्ढों की बात सुनकर कांग्रेस ने भी पलटवार करने का मौका नहीं छोड़ा. पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि बीजेपी के राज में गड्ढा कल्चर बढ़ा है. कांग्रेस शासनकाल में बनाई गई सड़कें आज भी चकाचक हैं जबकि बीजेपी सरकारें गड्ढे भी नहीं भर पा रही है. इन गड्ढों के कारण आए दिन लोग अपनी जान गवा रहे हैं.

परिवहन विभाग ने शुरू किया रोड सेफ्टी ऑडिट

हाई प्रोफाइल एक्सीडेंट के बाद जिम्मेदार विभाग भी नींद से जाग रहे हैं. आरटीओ शैलेश तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है. कमेटी नारसन बॉर्डर से हरिद्वार के सिंहद्वार चौक तक रोड सेफ्टी ऑडिट करेगी. इस कमेटी में पीडब्ल्यूडी परिवहन विभाग और एनएचएआई के अधिकारी शामिल होंगे.

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