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Rishabh को बचाने वाले ड्राइवर ने बताई उस रात की कहानी, कैसे बचाई पंत की जान

Rishabh Pant को एक सरकारी बस के कंडक्टर और ड्राइवर ने बचाया. जो पंत के लिए फरिश्ता बनकर वहां पहुंचे थे.

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भारत
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ऋषभ पंत (Rishabh Pant) की हालत एक्सीडेंट के बाद अब स्थिर है, और वह इस समय देहरादून के मैक्स अस्पताल में हैं. पंत का इलाज चल रहा है और उनके मेडिकल टेस्ट जारी हैं. लेकिन मैदान पर लौटने में उन्हें अभी काफी वक्त लग सकता है. नए साल की शुरुआत से पहले क्रिकेट प्रेमियों के लिए पंत के एक्सीडेंट की खबर किसी शॉक से कम नहीं थी. पूरे देश के चहेते इस क्रिकेटर को एक सरकारी बस के कंडक्टर और ड्राइवर ने बचाया. जो पंत के लिए फरिश्ता बनकर वहां पहुंचे थे.

"होश में आकर ऋषभ पंत ने सबसे पहले अपनी मां को फोन किया"- कडंक्टर  

हरियाणा के पानीपत में रहने वाले सुशील कुमार जो हरियाणा रोडवेज की बस चलाते हैं. और कंडक्टर परमजीत उस दिन सुबह-सुबह अंधेरे में रुड़की से पानीपत के लिए निकले थे और ऋषभ पंत उसी रोड से दिल्ली की ओर से आ रहे थे.

दोनों अलग लेन में थे, लेकिन पंत की गाड़ी टकराकर सुशील की बस की लेन में आ गई और जैसे-तैसे उन्होंने अपनी बस को बचाया. ऋषभ पंत को बचाने में मदद करने वाले बस ड्राइवर और कंडक्टर से हमने बातचीत की और जानने की कोशिश की आखिर उस वक्त ऋषभ पंत ने सबसे पहले क्या पूछा, किसे फोन किया और उनकी हालत कैसी थी.

मैंने उस कार को पहले ही देख लिया था. सामने से आते वक्त कार डिवाइडर तोड़ते हुए हमारे सामने आ गई और जैसे-तैसे मैंने बस को बचाया. मैंने जल्दी से उतरकर गाड़ी के पास जाकर देखा तो गाड़ी पूरी तरह से टूट गई थी और एक बंदा खिड़की से आधा बाहर निकला हुआ था और बेहोश था. इतने में गाड़ी में पीछे की साइड आग भी लग गई. मैंने अपने कंडक्टर और एक सवारी की मदद से उसे बाहर निकाला और रोड के बीच में जो जगह होती है, वहां लिटा दिया. इसके बाद मैंने पहले गाड़ी में ये तलाश किया कि, कोई और तो नहीं है. ताकि वक्त रहते सबको बचाया जा सके. लेकिन फिर घायल शख्स ने ही बताया कि वो गाड़ी में अकेला था और खुद ही ड्राइव कर रहा था.

'उसने बताया कि उसका नाम ऋषभ पंत है' ड्राइवर ने आगे कहा कि मैंने कहा कि कौन ऋषभ पंत तो उसने बताया कि भारतीय क्रिकेटर. अब भाईसाब मैं क्रिकेट देखता नहीं तो मुझे उतना अंदाजा भी नहीं था. लेकिन हमने एंबुलेंस को फोन किया, पुलिस को फोन किया और NHAI को भी फोन किया. करीब 20-25 मिनट बाद एंबुलेंस आई तब हमने उसको सहारा देकर एंबुलेंस में बिठाया और कहा कि, भाई इनको अच्छे अस्पताल में भर्ती करवाना.

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बस कंडक्टर परमजीत ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि, मैंने ही एंबुलेंस को फोन किया था. उन्होंने बताया कि, ऋषभ पंत ने होश में आने के बाद सबसे पहले अपनी मां को फोन करने के लिए कहा था. उन्होंने नंबर दिया, लेकिन वो फोन बंद आ रहा था, तो उन्होंने कहा कि मां सो रही होंगी. तब तक हमने उनको एक सवारी से लेकर चादर दी ओढ़ने के लिए, क्योंकि उनके शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था, सारे कपड़े फट गए थे और ठंड बहुत हो गई थी.

वो बार-बार पीने के लिए पानी मांग रहे थे, लेकिन हमने पानी के लिए मना किया क्योंकि काफी खून बह रहा था, हमें लगा कहीं नुकसान ना दे. लेकिन जब उन्होंने ज्यादा कहा तो थोड़ा सा पानी उनको पिला दिया.

कई जगह पर खबरें चल रही थी कि ऋषभ पंत का सामान भी चोरी हुआ है, लेकिन इस पर परमजीत ने कहा कि, ऐसा कुछ नहीं है. एक सूटकेस और कुछ पैसे वहां बिखरे मिले थे. जो हमने समेटकर ऋषभ पंत के हाथ में एंबुलेंस में बैठते वक्त रख दिये थे. उस वक्त पूरी तरह से अंधेरा था तो कुछ ज्यादा दिख भी नहीं रहा था.

परमजीत ने कहा कि, जैसे ही वो गाड़ी हमारे सामने कूदी तो पहली बात मेरे मुंह से निकली...ले भाई गये...वो तो ड्राइवर साहब की सूझबूझ से बच पाये. फिर उसके बाद हमने गाड़ी से उतरकर ये सब किया.

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