उत्तराखंड (Uttarakhand) में 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का कार्य तेजी से चल रहा है. रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के अधिकारियों ने कहा है कि 60 प्रतिशत नई ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का सफलतापूर्वक निर्माण किया जा चुका है. जानकारी के अनुसार, परियोजना पूरी होने के बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग का सफर तीन घंटे में तय होगा.
16,200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत, 2025 तक होगा पूरा
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों को उम्मीद है कि यह परियोजना 2025 के अंत तक पूरी हो जाएगी. 16,200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली नई ब्रॉड-गेज रेलवे लाइन, ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से जोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है.
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन उत्तराखंड के पांच जिलों देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौढ़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली से होकर गुजरेगी.
इस लाइन में 12 रेलवे स्टेशन, योग नगरी ऋषिकेश, मुनि की रेती, शिवपुरी, मंजिलगांव, साकनी, देवप्रयाग, कीर्ति नगर, श्रीनगर, धारी देवी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर और कर्णप्रयाग है.
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना के उप महाप्रबंधक ओम प्रकाश मालगुडी के अनुसार, काम को पूरा करने का मूल लक्ष्य 2024 था, लेकिन कोविड-19 के कारण काम में देरी हुई है.
मशीनीकृत खनन पर हाईकोर्ट के प्रतिबंध से काफी बाधा उत्पन्न हुई, जिससे कठिनाई बढ़ गई है. इन बाधाओं के बावजूद, खुदाई का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है, एक सुरंग के लिए प्रतिदिन खुदाई दर 170 मीटर है.ओम प्रकाश मालगुडी, उप महाप्रबंधक, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना
वाटरप्रूफ बनाए गए सुरंग
इसके साथ ही खराब मौसम, विशेषकर भारी बारिश के दौरान भी बिना किसी बाधा के रेल यातायात सुनिश्चित करने के लिए सभी सुरंगों को वाटरप्रूफ बनाया जाएगा. इसके अतिरिक्त, उन्हें भूकंपीय गतिविधि का सामना करने के लिए भी मजबूत किया जाएगा.
125.2 किलोमीटर लंबी रेल लाइन में से 104 किमी सुरंगों के माध्यम से होगी, जो लाइन की कुल लंबाई का लगभग 84 प्रतिशत है.
रेलवे परियोजना का क्या उद्देश्य?
इस रेलवे परियोजना में कुल 17 सुरंगें हैं, जिनमें 15.1 किमी की एक लंबी सुरंग भी शामिल है, जो देवप्रयाग और लछमोली के बीच देश की सबसे लंबी सुरंगों में से एक है. इस परियोजना का उद्देश्य गढ़वाल हिमालय में स्थित चार धाम मंदिरों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ तक तीर्थयात्रियों की कनेक्टिविटी में सुधार करना है.
यह उत्तराखंड राज्य में स्थित तीर्थस्थलों तक आसान पहुंच, नए व्यापार केंद्रों को जोड़ने, पिछड़े क्षेत्रों के विकास और क्षेत्र में रहने वाली आबादी की सेवा करने की सुविधा प्रदान करेगा.
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