RRB-NTPC के रिजल्ट और ग्रुप D में दूसरे चरण को जोड़े जाने के विरोध में 24 जनवरी को पटना में शुरू हुए छात्र आंदोलन की आवाज दिल्ली तक सुनाई दी. बिहार के अलग-अलग जिलों में 3 दिनों तक जमीन पर चले प्रदर्शन से केंद्र सरकार पूरी तरह से हिल गई और आनन-फानन में परीक्षाओं को स्थगित करते हुए छात्रों की समस्याओं का निपटारा करने के लिए कमेटी गठित कर दी गई.
लेकिन इस फिजिकल प्रोटेस्ट की पूरी रूप रेखा वर्चुअल मीडियम में लिखी गई थी. जमीन पर उतरने से पहले ये आंदोलन कई दिनों तक सोशल मीडिया पर चलता रहा लेकिन न तो मीडिया को उसकी फिक्र हुई और न ही सरकार के कान पर जूं रेंगी. लेकिन छात्रों ने जैसे ही सड़क पर कदम रखे और आंदोलन उग्र हुआ, मीडिया से लेकर सरकार तक जाग गई.
सोशल मीडिया पर कब और कैसे शुरू हुआ आंदोलन?
14 जनवरी, 2022 को RRB-NTPC के CBT 1 का रिजल्ट आया. रिजल्ट से नाखुश अभ्यर्थी छिटपुट तरीके से अपनी बात सोशल मीडिया पर लिखने लगे. अभ्यर्थियों के साथ ही तमाम कोचिंग संचालक भी रिजल्ट में अनियमितता का आरोप लगाकर अभ्यर्थियों को सोशल मीडिया पर आवाज उठाने के लिए प्रेरित करते रहे. खान सर जैसे कई टीचरों ने अपने यूट्यूब चैनल के कई वीडियो में अभ्यर्थियों को ऑनलाइन प्रोटेस्ट करने का तरीका समझाया. ट्विटर पर ट्रेंड कराने के लिए बाकायदा तारीख और हैशटैग निर्धारित किए गए.
18 जनवरी को अपने एक वीडियो में खान सर ये बताते हुए दिखाई पड़े कि ये ट्विटर ट्रेंड कम से कम एक हफ्ते तक चलना चाहिए तभी सरकार अभ्यर्थियों की बात सुनेगी. 18 जनवरी के लिए #RRBNTPC_1student_1result और #RailwayMinister_SaveStudentsLife ट्रेंड डिसाइड हुआ था. छात्रों के साथ ही कई कोचिंग संचालकों ने भी इन हैशटैग्स पर ट्वीट किए. सूत्रों के मुताबिक इस ऑनलाइन कैम्पेन के लिए तमाम कोचिंग संचालक लगातार एक-दूसरे के संपर्क में थे और वो ही आपस मे हैशटैग डिसाइड कर अपनी-अपनी कोचिंग में छात्रों को बताया करते थे ताकि एक समय पर एक ही हैशटैग ज्यादा से ज्यादा बार इस्तेमाल हो जिससे वो लगातार ट्रेंड में बना रहे.
छात्रों के आंदोलन को विदेश से भी मिला समर्थन
लाखों की संख्या में हो रहे ट्वीट्स की वजह से ये हैशटैग ट्विटर पर लगातार ट्रेंड करते रहे. इस कैम्पेन में हंसराज मीणा जैसे एक्टिविस्ट और रांडा हबीब जैसी विदेशी पत्रकारों ने भी अभ्यर्थियों के समर्थन में ट्वीट किए. इसके अलावा कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई (NSUI) के अध्यक्ष नीरज कुंदन समेत कई दूसरे छात्र नेताओं ने भी अभ्यर्थियों का समर्थन किया. देखते ही देखते #RRBNTPC_1student_1result ट्रेंड पर 9 मिलियन से ज्यादा ट्वीट हो गए.
पटना में RRB की कोचिंग कर रहे एक छात्र ने बताया कि ऑनलाइन कैम्पेन को लेकर उनके टीचर लगातार स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित कर रहे थे. ट्विटर पर भी अभ्यर्थी एक-दूसरे से लगातार ट्रेंड को फॉलो करने और ट्वीट करने की अपील कर रहे थे. इसके अलावा तमाम व्हाट्सएप्प ग्रुप्स में भी ट्विटर कैंपेन का प्रचार किया जा रहा था ताकि ज्यादा से ज्यादा ट्वीट किए जा सकें. इस दौरान #RRBNTPC_Scam, #JusticeForRailwayStudents #RailwayMinister_HelpUs जैसे और भी कई ट्रेंड्स चलाये गए. 18 जनवरी के सफल ऑनलाइन प्रोटेस्ट के बाद 21 जनवरी को एक और मेगा ट्रेंड चलाया गया.
कोचिंग संचालकों की आपसी प्रतिस्पर्धा ने छात्रों को सड़क पर उतार दिया?
18 जनवरी के अपने वीडियो में खान सर ने ऑनलाइन प्रोटेस्ट के बाद फिजिकल प्रोटेस्ट करने की बात भी कही थी. खान सर के अलावा दूसरे शिक्षकों ने भी अपने अभ्यर्थियों से इस बारे में बात की थी. लगातार ऑनलाइन कैम्पेन के बाद भी जब छात्रों की मांगें नहीं सुनी गईं तो धीरे-धीरे व्हाट्सएप्प ग्रुप्स और ट्विटर पर अभ्यर्थी जल्द ही फिजिकल प्रोटेस्ट की बात करने लगे. 23 जनवरी को ही सोशल मीडिया पर 24 जनवरी को सुबह 11 बजे पटना के राजेन्द्र नगर टर्मिनल पर 'रेल रोको आंदोलन' का आह्वान किया जाने लगा और 24 तारीख को दोपहर होते-होते भिखना पहाड़ी और आस-पास के हॉस्टल-लॉज में रहने वाले छात्र इकट्ठा हो गए.
कुछ अभ्यर्थियों का दावा है कि भिखना पहाड़ी से राजेन्द्र नगर टर्मिनल के लिए निकले उस मार्च का नेतृत्व एक कोचिंग सेंटर के टीचर कर रहे थे. इस दौरान कई छात्र अपने फोन से लाइव कर रहे थे और कई छात्र वीडियो बनाकर अलग-अलग ग्रुप्स में शेयर रहे थे. जिसकी वजह से देखते ही देखते राजेन्द्र नगर टर्मिनल पर अभ्यर्थियों की भारी भीड़ जमा हो गई. इसी दौरान, RRB ग्रुप D में दूसरा चरण जोड़े जाने का नोटिफिकेशन आया. जिसने छात्रों के आंदोलन को और भी उग्र बना दिया और देखते ही देखते ये आंदोलन बिहार के दूसरे जिलों तक जा पहुंचा.
RRB के एक अभ्यर्थी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोचिंग संचालकों में अभ्यर्थियों के बीच ज्यादा से ज्यादा फेमस होने की भी होड़ रहती है ताकि उनके पास ज्यादा अभ्यर्थी पढ़ने आएं. इसके लिए उनकी कोशिश होती है कि वो खुद को अभ्यर्थियों का हितैषी दिखाएं और हर मोर्चे पर आगे बढ़कर अपने छात्रों को प्रोटेक्ट करते रहें. पटना पुलिस ने राजेन्द्र नगर टर्मिनल की घटना के बाद जो FIR दर्ज की है, उसमें भी छात्रों के बयानों के आधार पर खान सर, नवीन सर, एस. के. झा सर, अमरनाथ सर, गगन प्रताप सर, गोपाल वर्मा सर और दूसरे कोचिंग संचालकों द्वारा अभ्यर्थियों को भड़काने और प्रदर्शन के लिए उकसाने की बात कही गई है. वजह चाहे जो भी हो, लेकिन छात्रों के आंदोलन ने इतना तो साफ कर दिया कि बिना मीडिया और बिना किसी नेता के भी सोशल मीडिया के जरिए भी एक बड़ा और सफल आंदोलन खड़ा किया जा सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)