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भागवत बोले- संघ किसी पार्टी नहीं, केवल पॉलिसी का समर्थन करता है

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा - गोरक्षा को मॉब लिंचिंग से जोड़ना ठीक नहीं

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय लेक्चर सीरीज का बुधवार को आखिरी दिन है. आखिरी दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मॉब लिंचिंग, गोरक्षा, जम्मू-कश्मीर, अल्पसंख्यक और राम मंदिर जैसे तमाम अहम सवालों के जवाब दिए.

संघ के राजनीतिक जुड़ाव के सवाल पर संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस किसी भी दल का समर्थन नहीं करता है, वह सिर्फ नीति का समर्थन करता है.

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संघ ने कभी भी किसी भी दल का समर्थन नहीं किया. संघ सिर्फ नीति का समर्थन करता है. जैसे-जैसे संघ की शक्ति बढ़ती है, वैसे राजनीतिक दलों को भी इसका लाभ मिल सकता है. जो इसका लाभ ले सकता है, वो ले जाते हैं. हमने इमरजेंसी की नीति का विरोध किया, जो इमरजेंसी के खिलाफ थे, वो अनेक दलों के लोग थे, हमने ऐसा विचार नहीं किया कि जनसंघ को इसका लाभ मिले. उसमें बाबू जगजीवन राम थे, और लोग भी थे. हम राजनीति नहीं करते.
मोहन भागवत, संघ प्रमुख

भागवत ने लेक्चर सीरीज के आखिरी दिन क्या कहा?

  • हमें एक ऐसी शिक्षा नीति की जरूरत है, जो आधुनिक शिक्षा और हमारी परंपराओं का मिला-जुला रूप हो
  • हमें एक ऐसा माहौल बनाना होगा, जहां महिलाएं सुरक्षित और संरक्षित महसूस करें
  • हिंदुत्व के खिलाफ कोई आक्रोश नहीं, हिंदुत्व की स्वीकार्यता दुनियाभर में बढ़ रही है
  • भागवत ने गोरक्षा पर कहा कि कानून अपने हाथों में लेना अपराध है
  • संघ चाहता है कि धारा 370 और अनुच्छेद 35A नहीं रहना चाहिए.
  • संघ ने कभी किसी भी दल का समर्थन नहीं किया, संघ सिर्फ नीतियों का समर्थन करता है, किसी दल का नहीं

‘संघ करता है अंतरजातीय विवाह का समर्थन’

विवाह को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में मोहन भागवत ने कहा कि संघ अंतरजातीय विवाह का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि समाज में जातिगत भेदभाव नहीं होना चाहिए. संघ प्रमुख ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा अंतरजातीय विवाह संघ के स्वयंसेवकों ने किया है.

भागवत ने कहा कि समाज को एक दृष्टि से देखना जरूरी है, इससे हिंदू समाज में विभाजन नहीं होगा. इसलिए संघ सभी हिंदुओं को संगठित करने का प्रयास कर रहा है.

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‘गोरक्षा को मॉब लिंचिंग से जोड़ना ठीक नहीं’

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गोरक्षा और इससे जुड़ी हिंसा से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि गोरक्षा और मॉब लिंचिंग से जोड़ना ठीक नहीं है. भागवत ने कहा, ''हिंसा करना अपराध है, ऐसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.''

गौरक्षा के नाम पर कानून के विरूद्ध नहीं जाया जा सकता. कानून को अपने हाथ में लेना एक अपराध है और ऐसे मामलों में कठोर दंड होना चाहिए. हमें दोमुंही बातों को भी नकारना चाहिए क्योंकि गौ तस्करों द्वारा की जाने वाली हिंसा पर कोई नहीं बोलता. 
मोहन भागवत

भागवत ने कहा कि गाय परंपरागत श्रद्धा का विषय है. इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसलिए गोरक्षा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गोरक्षा के काम को प्रोत्साहन मिलना चाहिए.

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‘अंग्रेजी का विरोध नहीं’

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि संघ अंग्रेजी समेत किसी भी भाषा का विरोधी नहीं है, लेकिन इसे उचित जगह दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह किसी भारतीय भाषा का स्थान नहीं ले सकती.

संघ के तीन दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन लिखित सवालों का जवाब देते हुए भागवत ने कहा, "आपको अंग्रेजी समेत किसी भी भाषा का विरोधी नहीं होना चाहिए और इसे हटाया नहीं जाना चाहिए. हमारी अंग्रेजी के साथ कोई शत्रुता नहीं है. हमें कुशल अंग्रेजी वक्ताओं की जरूरत है.”

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‘जनसांख्यिकी संतुलन कायम रखने की जरूरत’

भारत के विभिन्न भागों में बदल रहे जनसांख्यिकी संतुलन और घटती हिंदू आबादी के बारे में एक सवाल पर आरएसएस प्रमुख ने कहा कि दुनियाभर में जनसांख्यिकी संतुलन को महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे यहां भी कायम रखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘इसे ध्यान में रखते हुए जनसंख्या पर एक नीति तैयार की जानी चाहिए.'' अगले 50 सालों में देश की संभावित आबादी और इस संख्या बल के अनुरूप संसाधनों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक बार जब नीति पर निर्णय हो जाए तो यह सभी पर लागू होना चाहिए और किसी को बख्शा नहीं जाना चाहिए.

‘इस प्रकार की नीति को वहां पहले लागू करना चाहिए, जहां आबादी की समस्या है. जहां अधिक बच्चे हैं लेकिन उनका पालन करने के साधन सीमित हैं...अगर उनका पालन पोषण अच्छा नहीं हुआ तो वे अच्छे नागरिक नहीं बन पाएंगे.’

भागवत ने कहा कि इस प्रकार की नीति को वहां बाद में लागू किया जा सकता है, जहां इस प्रकार की समस्या नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि महज कानून ही किसी मुद्दे का समाधान नहीं है. कई बीजेपी नेता और हिंदू संगठन इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. उनका कहना है कि मुस्लिम आबादी की तुलना में हिन्दुओं की जनसंख्या घट रही है.

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