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#MeToo : कड़े कानून के लिए बनी मंत्रियों की कमेटी चुपचाप भंग 

# MeToo मामलों में कड़े कानून बनाने के लिए सरकार ने कमेटी बनाई लेकिन अब इसका कोई अता-पता नहीं 

Published
भारत
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मीटू मामले में एमजे अकबर के इस्तीफे के बाद वर्किंग प्लेस में सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ बने कानून की समीक्षा के लिए बनाई गई मंत्रियों की कमेटी भंग कर दी गई है. मोदी सरकार के मंत्रियों के समूह को कामकाजी जगहों पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ मौजूदा कानून के फ्रेमवर्क की समीक्षा करनी थी. साथ ही उसे सेक्सुअल हैरसमेंट रोकने की सिफारिशें करने और उन्हें समयबद्ध ढंग से लागू कराने की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन द क्विंट के आरटीआई अप्लीकेशन से पता चला कि मंत्रियों की यह कमेटी भंग कर दी गई है.

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कमेटी भंग करने से महिला कार्यकर्ताओं में गुस्सा

इस कमेटी में नीतिन गडकरी, निर्मला सीतारमन और मेनका गांधी थीं. 24 अक्टूबर 2018 को गठित इस कमेटी का नेतृत्व उस दौरान गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह कर रहे थे. द क्विंट ने मीटू आंदोलन से जुड़ी कुछ महिलाओं से बात की तो उन्होंने कहा कि एमजे अकबर के मामले के बाद सरकार ने जो तेजी अक्टूबर 2018 में कमेटी का गठन करके दिखाई थी,इससे उनमें काफी उम्मीदें बंधी थीं. लेकिन कमेटी भंग करने से वे निराश और गुस्से में हैं.

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कमेटी को बने नौ महीने हो चुके हैं. इसके तीन महीने बाद इन्हें सिफारिशें सौंपनी थीं. इस बीच यौन प्रताड़ना के खिलाफ सोशल मीडिया पर महिलाओं के खुलासे भी कम हो गए हैं. इसे देखते हुए क्विंट ने महिलाओं के खिलाफ यौन प्रताड़ना के मामले में कड़े कानूनी प्रावधान सुझाने वाली कमेटी के योगदान के बारे में जानना चाहा. इसके लिए द क्विंट आरटीआई के तहत आवेदन दिया था.
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द क्विंट ने किए थे ये चार सवाल

द क्विंट ने गृह मंत्रालय में आरटीआई आवेदन दिया था, जिसके तहत यह कमेटी गठित हुई थी. द क्विंट की ओर से चार सवाल किए गए थे

  • कृपया बताएं कि 24 अक्टूबर से 2018 से मंत्रियों के समूह की कितनी बैठकें हुईं?
  • 24 अक्टूबर 2018 से हुई बैठकों की तारीखों के बारे में बताएं?
  • हर मीटिंग के मिनट्स मुहैया कराएं जाएं.
  • तीन महीने के अंदर जो सिफारिशें सौंपी जानी थीं उनकी एक कॉपी मुहैया कराई जाए.
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इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि यह कमेटी भंग कर दी गई है. गृह मंत्रालय के जवाब में कहा गया

आपको यह सूचित किया जाता है कि 17वीं लोकसभा और नई सरकार के गठन के साथ ही अब यह कमेटी अस्तित्व में नहीं है. 

सरकार की ओर से कहा गया है कि जो जानकारी मांगी गई है वह आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8 (i) के तहत खुलासे के दायरे में नहीं आती है. मांगी गई जानकारी मंत्रियों के समूह की बैठकों के संबंध में लागू होती है.

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