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भारत-चीन गतिरोध के बीच रूस पर क्यों हैं निगाहें? 

लंबे समय से भारत और रूस के संबंध काफी अच्छे रहे हैं

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चीन के साथ विवाद के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 23 जून को अपने चीनी और रूसी समकक्षों के साथ रूस-भारत-चीन (RIC) वर्चुअल मीटिंग में शामिल होंगे. उधर, भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के तीन दिवसीय दौरे पर हैं. ऐसे में भारत और चीन दोनों देशों के लिए रूस की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प के बाद भारत RIC बैठक में हिस्सा नहीं लेना चाहता था, मगर बैठक के आयोजक रूस के अनुरोध पर वो इसमें शामिल होने पर सहमत हो गया.

भारत और रूस के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं, खासकर डिफेंस के क्षेत्र में. इस बीच पिछले कुछ हफ्तों में, भारत रूस के साथ काफी जुड़ा रहा है. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गलवान में हिंसक झड़प के दो दिन बाद रूस में भारतीय राजदूत, डी बाला वेंकटेश वर्मा, और उप विदेश मंत्री इगोर मोर्गुलोव के बीच फोन पर बात भी हुई थी.

रूसी विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में बताया था, ''अधिकारियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा की, जिसमें हिमालय में भारत और चीन की सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिविधियां शामिल हैं, ”

क्या RIC बैठक में उठेगा भारत-चीन गतिरोध का मुद्दा?

अब तक सामने आए बयानों के आधार पर इस बात की संभावना नहीं दिख रही कि RIC बैठक में भारत और चीन के बीच गतिरोध से जुड़ा मुद्दा उठेगा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस बैठक में भारत-चीन तनाव पर चर्चा की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले दिनों कहा था: "एजेंडा में उन मुद्दों पर चर्चा करना शामिल नहीं है, जो इस प्रारूप के किसी देश के किसी अन्य सदस्य के साथ द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित हैं."

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि बैठक में COVID-19 महामारी, वैश्विक सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता संबंधी चुनौतियों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी.

डिफेंस को लेकर भारत और चीन दोनों के लिए रूस अहम

माना जा रहा है कि भारत सरकार ने चीन के साथ तनाव के बीच किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने को डिफेंस के मोर्चे पर कमर कसना शुरू कर दिया है. इसलिए COVID-19 संकट के बावजूद रक्षा मंत्री को रूस भेजा गया है. राजनाथ रूस में 24 जून को 75वीं 'विजय दिवस परेड' में शिरकत करेंगे. यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी पर सोवियत की जीत की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित होगी. बताया जा रहा है कि इस परेड में हिस्सा लेने के अलावा राजनाथ रूस के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ भी बैठकें करेंगे.

अंग्रेजी अखबार द इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यात्रा के दौरान भारत एस-400 ट्रायम्फ एंटी मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी और बाकी स्पेयर्स की सप्लाई में तेजी लाने पर विचार करने के लिए रूस पर दबाव डालेगा.

डिफेंस के मामले में चीन के भी रूस के साथ अच्छे संबंध हैं और वह पहले ही एस-400 सिस्टम हासिल कर चुका है. चीन रूस के साथ संबंध और मजबूत करके रूसी उच्च तकनीक तक पहुंच चाहता है, खासकर जेट इंजन के लिए.

भारत-चीन तनाव पर क्या रहा है रूस का हालिया रुख

रूसी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने हाल ही में कहा था कि क्रेमलिन भारत और चीन के बीच टकराव को लेकर चिंतित है, लेकिन वो मानता है कि दोनों देश खुद ही इस विवाद का समाधान कर सकते हैं.

पेसकोव ने कहा, ''निश्चित तौर पर, हम बड़े ध्यान से देख रहे हैं कि चीनी-भारतीय सीमा पर क्या हो रहा है. हमारा मानना है कि यह बहुत ही चौंकाने वाली रिपोर्ट है.'' इसके अलावा उन्होंने कहा, ''लेकिन हम मानते हैं कि दोनों देश भविष्य में ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने में सक्षम हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस क्षेत्र में स्थिरता है और यह राष्ट्रों के लिए एक सुरक्षित क्षेत्र है.''

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि रूस ने दोनों देशों से संपर्क किया है और सीमा विवाद का समाधान बातचीत के जरिए करने का अनुरोध किया है.

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