उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें लगवाने का फैसला किया है. इस परियोजना की शुरुआत राज्य के आठ बालिका विद्यालयों से की जा रही है.
राज्य सरकार प्रदेश के उधमपुर नगर जिले में नैपकिन बनाने के लिए एक मशीन लगवा रही है, जिसकी शुरूआत इस महीने की 25 तारीख से होगी.
उत्तराखंड की महिला कल्याण व बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने कहा, ‘‘देश में सेनिटरी नैपकिन का मुद्दा महिलाओं के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है. आज भी महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल न करने के कारण कई बीमारियों का शिकार हो जाती हैं. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार महिलाओं और बालिकाओं के लिए एक नई शुरुआत करने जा रही है.''
महिलाओं और छात्राओं तक हमने सस्ती सेनिटरी नैपकिन मुहैया कराने के उद्देश्य से राज्य के स्कूलों में वेंडिंग मशीन लगाने का फैसला किया है. पहले चरण में प्रदेश के जिलों के आठ बालिका विद्यालयों में लगवाई जा रही है. आगामी 25 फरवरी से इसकी शुरूआत कर दी जाएगी.रेखा आर्य, महिला कल्याण व बाल विकास राज्य मंत्री, उत्तराखंड
3 रुपये का होगा एक नैपकिन
एक नैपकिन की कीमत तीन रूपये होगी. वेंडिंग मशीन में तीन नैपकिन का एक पैकेट होगा. मशीन में दस रुपये या पांच-पांच रुपये के दो सिक्के डालने पर नैपकिन का एक पैकेट निकलेगा.
इस परियोजना को बाद में सूबे के दूसरे बालिका स्कूलों तक बढ़ाया जाएगा. सरकार की योजना आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से ग्रामीण महिलाओं के बीच नैपकिन बांटने की है. इसके लिए उन्हें हर नैपकिन तीन रूपये का देना होगा.रेखा आर्य, महिला कल्याण व बाल विकास राज्य मंत्री, उत्तराखंड
मंत्री ने कहा कि नैपकिन बनाने के लिए प्रदेश के उधमसिंह नगर जिले के रूद्रपुर में एक मशीन लगाई गई है. इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री 25 फरवरी को करेंगे. फिलहाल इसकी क्षमता प्रतिदिन 500 नैपकिन बनाने की है. लेकिन बाद में इसे बढ़ा कर प्रतिदिन 800 करने की योजना है.
ये भी पढ़ें- अक्षय की पैडमैन का असर, छात्राओं को सिर्फ 5 रु में सैनिटरी नैपकिन
(क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके. छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहां क्लिक करें.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)