कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की तीखी आलोचना करने के एक दिन बाद, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) ने सफाई दी है कि अमित शाह ने पीएम को लेकर कोई बयान नहीं दिया और उनके बयानों का 'गलत मतलब' निकाला गया. 2 जनवरी को हरियाणा के दादरी में एक कार्यक्रम में मलिक ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर बयान दिया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
मलिक ने कहा था कि किसानों के मुद्दे पर जब वो पीएम मोदी से मिले, तो वो घमंड में थे और उनसे उनकी लड़ाई भी हो गई.
हालांकि, 3 जनवरी को उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए पीएम मोदी के कदम की तारीफ की और कहा कि असफलताओं के बावजूद, सरकार अब "सही रास्ते पर" है.
द इंडियन एक्सप्रेस से, मलिक ने कहा, "जब वो (गुजरात के) मुख्यमंत्री थे, वो किसान समर्थक थे और चाहते थे कि एमएसपी को वैधानिक दर्जा दिया जाए. लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें गुमराह किया गया. फिर भी, जब उन्होंने महसूस किया कि किसान किसी भी कीमत पर कृषि कानूनों का समर्थन नहीं करते हैं, तो उन्होंने इसे वापस लेने और माफी मांगने का कदम उठाया. ये उनके बड़े दिल होने की बात को दिखाता है. वो अब सही रास्ते पर हैं."
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ये भी कहा कि अमित शाह ने सरकार के खिलाफ कुछ नहीं कहा और वो इस मुद्दे को लेकर 'बहुत समझदार' थे. मलिक ने एनडीटीवी से कहा, "मैं साफ करना चाहता हूं कि शाह ने गलत इरादे से प्रधानमंत्री के बारे में कुछ नहीं कहा. उन्होंने मुझसे सिर्फ इतना कहा कि मेरी चिंताओं को समझा जाएगा."
'PM ने कहा, क्या मेरे लिए मरे हैं?'
2 जनवरी को, हरियाणा के दादरी में, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बड़ा बयान देते हुए कहा था, "मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलने गया, तो मेरी पांच मिनट में लड़ाई हो गई उनसे. वो बहुत घमंड में थे. जब मैंने उनसे कहा, हमारे 500 लोग मर गए... तो उन्होंने कहा, मेरे लिए मरे हैं? कहा आपके लिए ही तो मरे थे, जो आप राजा बने हुए हो... मेरा झगड़ा हो गया."
मलिक ने आगे कहा था कि किसान आंदोलन समाप्त नहीं हुआ, बल्कि स्थगित हुआ है. उन्होंने कहा, "अगर किसानों की मांगे नहीं मानी गई तो फिर से आंदोलन हो सकता है."
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