भारतीय स्टेट बैंक ने नोटबंदी के दौरान 70 हजार कर्मचारियों को ओवरटाइम के तौर पर दिए गए पैसों को वापस करने के लिए कहा है. ये सभी कर्मचारी एसबीआई के एसोसिएट बैंकों के हैं. नोटबंदी के दौरान ज्यादा काम होने की वजह से इन कर्मचारियों को ओवरटाइम के बदले भुगतान किया भी गया, लेकिन अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सभी कर्मचारियों से ये रकम वापस करने को कहा है.
कर्मचारियों में भारी नाराजगी
दरअसल, एसबीआई उन 5 बैंकों के कर्मचारियों से यह पैसा वापस लेना चाहती है जिनका पिछले साल एसबीआई में विलय हुआ था. इनमें स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर शामिल हैं.
एसबीआई के इस फैसले से एसोसिएट बैंकों के 70 हजार कर्मचारी नाराज हो गए हैं.
फैसले के पीछे SBI का तर्क
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से सभी जोनल हेडक्वॉर्टर को भेजे गए लेटर में कहा गया है कि सिर्फ अपने बैंक के कर्मचारियों को ही ओवर टाइम के लिए पैसा दिया जाए. यह पैसा एसोसिएट बैंक के कर्मचारियों को नहीं दिया जाए.
लेटर में कहा गया है कि यह भुगतान केवल उन कर्मचारियों के लिए था, जो उस समय एसबीआई की शाखाओं में काम करते थे. उस समय एसोसिएट बैंकों का विलय एसबीआई में नहीं हुआ था. इसलिए उनके बैंकों के कर्मचारी एसबीआई के कर्मचारी नहीं माने जाएंगे. ऐसे में ओवर टाइम के लिए भुगतान करने की जिम्मेदारी एसबीआई की नहीं, बल्कि उन बैंकों की थी जो उस समय स्वायत्त थे.
नवंबर 2016 में लागू हुई थी नोटबंदी
8 नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. ऐलान के बाद 500 और 1000 रुपये की पुरानी करंसी बंद कर दी गई थी. इस फैसले के बाद पुराने नोट बैंकों में जमा करने के लिए बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लग गईं थीं.
आम जनता के अलावा बैंक कर्मचारियों को भी काफी मुश्किल हुई थी. इस दौरान बैंक कर्मचारियों को हर रोज 3 से 8 घंटे तक अतिरिक्त काम करना पड़ा था. इसी अतिरिक्त समय के लिए एसबीआई ने अपने कर्मचारियों को ओवरटाइम देने का वादा किया था. वादे के मुताबिक, ओवरटाइम के तौर पर अधिकारियों को 30 हजार और अन्य कर्मचारियों को 17 हजार रुपये का भुगतान किया गया था.
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