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SC ने राघव बहल और रितु कपूर को लंदन जाने की अनुमति दी, प्रोटेक्शन को बढ़ाया

कोर्ट ने राघव बहल और रितु कपूर को मेडिकल कारणों से लंदन जाने की अनुमति दी है

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भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 11 मार्च को द क्विंट के फाउंडर राघव बहल और उनकी पत्नी रितु कपूर को विदेश यात्रा संबंधी राहत दे दी है. बहल के विदेश जाने के खिलाफ उठाए गए कदमों पर, रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने आगे बढ़ा दिया है. बहल स्वास्थ्य वजहों से विदेश जाने के इच्छुक हैं.

जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी टिप्पणी में कहा "भले ही एनफोर्समेंट डॉयरेक्टोरेट द्वारा राघव बहल के खिलाफ दायर किए गए मामले में उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के मुताबिक, बहल की यात्राओं पर कोई आपत्ति नहीं जताई गई है."

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कोर्ट ने राघव बहल और रितु कपूर को मेडिकल अपॉइनमेंट के लिए लंदन जाने की अनुमति दी है. दोनों को एक शपथ पत्र देने के लिए कहा गया है, जिसमें उनके जाने की तिथि से दो हफ्ते के भीतर भारत वापस आने की बात होगी.

केंद्र सरकार की एजेंसियों को कहा गया है कि वे निर्देश पहुंचाने के लिए कदम उठाएं. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 11 मई को सुनवाई करेगा, तब तक बहल के खिलाफ कोई भी कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा.

राघव बहल ने खुद के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में केस लगाया है. बहल ने कोर्ट से सुनवाई के दौरान अंतरिम सुरक्षा की गुहार लगाई थी, जिसे देने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया था. अंतरिम सुरक्षा देने से दिल्ली हाईकोर्ट के इसी इंकार के खिलाफ बहल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

हाई कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को रद्द करने के लिए सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने ईडी को राघव बहल के उस तर्क का जवाब देने को कहा है, जिसमें बहल ने दावा किया है कि उनके खिलाफ दायर किए गए केस में कोई मेरिट नहीं है, क्योंकि उन्होंने सभी जरूरी रिटर्न्स भरे थे और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए थे. विभाग ने इन दस्तावेजों की पुष्टि करते हुए इन्हें मान्यता भी दी थी.

राघव बहल के खिलाफ 2019 में मामला दर्ज किया गया था, यह मामला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट के आधार पर दायर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि बहल ने करीब 2.45 करोड़ रुपये का खुलासा नहीं किया था, जिसका उपयोग लंदन में एक प्रॉपर्टी खरीदने के लिए किया गया था.

ईडी ने वर्ष 2018-19 के लिए भरे गए रिटर्न्स में आरोपित अनियमित्ताओं के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की शिकायत पर बहल के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी.

राघव बहल ने बार-बार आरोपों से इनकार किया, वित्त मंत्री को लिखा- स्वेच्छा से अपने निवेश का खुलासा किया

हालांकि राघव बहल ने अपने ऊपर लगे आरोपों से बार-बार इनकार किया है. दिल्ली हाई कोर्ट में उनके वकील मुकुल रोहतगी ने यह भी दोहराया था कि राघव बहल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी कार्यवाही को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि अधिकारियों ने राघव बहल द्वारा वित्त वर्ष 2018-19 के लिए टैक्स रिटर्न को फिर से भरने के बाद उसे अपनी मंजूरी दे दी है.

साल 2019 में राघव बहल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक लेटर में कहा था कि उन्हें ईमानदारी और लगन से सभी टैक्स का भुगतान करने के बावजूद निशाना बनाए जाने का आभास हो रहा है. उन्होंने स्वेच्छा से लंदन की प्रॉपर्टी में अपने पूरी इन्वेस्टमेंट का खुलासा भी किया था.

वित्त मंत्री को लिखे अपने लेटर में राघव बहल ने लिखा “मुझे उम्मीद है कि नीचे दी गई जानकारी को अपनी इच्छा से प्रकट करके मैं वित्त मंत्रालय और उसके विभागों की इंक्वाइरी को सुविधाजनक बना सकता हूं और उन्हें उनके द्वारा अब तक की गई गलतियों को सुधारने का मौका दे सकता हूं.”

"नीचे किए गए खुलासे के बाद किसी भी तरह का संदेह दूर होना चाहिए और किसी भी जांच को बनाए रखने के लिए दूर-दराज के ढोंग को भी ध्वस्त करना चाहिए, क्योंकि पहले उपलब्ध कराई गई जानकारी के साथ ये स्पष्ट रूप से स्थापित करते हैं कि लंदन में प्रॉपर्टी (जो जांच का विषय बन गया है) खरीदने के लिए इन्वेस्ट की गयी एक-एक पाई (अक्षरशः) का मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों की इनकम से भुगतान किया गया है.

बहल के आवास और द क्विंट के कार्यालय पर छापेमारी

आयकर अधिकारियों ने अक्टूबर 2018 में नोएडा में द क्विंट के ऑफिस पर छापा मारा था. आयकर टीम को लीड कर रहे एक अधिकारी के अनुसार, वे ऑफिस की एक मंजिल पर तलाशी कर रहे थे और दूसरी तरफ सर्वेक्षण.

IT अधिकारी बहल और कपूर के आवास और क्विंटाइप (उसी कॉर्पोरेट समूह के भीतर एक अन्य कंपनी) के ऑफिस में भी मौजूद थे और बेंगलुरु में द न्यूज मिनट (जिसमें क्विंटिलियन मीडिया की हिस्सेदारी है) में एक सर्वे भी किया था.

नोएडा ऑफिस में लगभग 22 घंटे चली तलाशी अगले दिन सुबह खत्म हुई थी. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा इस छापेमारी की कड़ी निंदा की गई थी. पत्रकारों और नेताओं ने समान रूप से इसे अनडिक्लेयर्ड इमरजेंसी का संकेत दिया था.

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