ADVERTISEMENTREMOVE AD

रोडरेज केस: सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की अपील पर फैसला सुरक्ष‍ित रखा

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि फैसला बाद में सुनाया जायेगा

Published
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

सुप्रीम कोर्ट ने तीस साल पुराने रोड रेज के मामले में पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और अब मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की अपील पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली. सिद्धू ने इस घटना में उन्हें दोषी ठहराने और तीन साल की सजा सुनाने के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे रखी है.

जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस पर फैसला सुरक्ष‍ित रखा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सिद्धू की ओर से सीनियर एडवोकेट आरएस चीमा ने कहा कि पीड़‍ित की मृत्यु के कारण के बारे में रिकॉर्ड पर लाये गये सबूत ‘अनिश्चित और विरोधाभासी ' हैं. उन्होंने कहा कि मृतक गुरनाम सिंह की मृत्यु के कारण के बारे में मेडिकल राय भी ‘अस्पष्ट' है.

पीठ ने सिद्धू के साथ ही तीन साल की सजा पाने वाले रूपिन्दर सिंह संधू की अपील पर भी सुनवाई पूरी कर ली. पंजाब विधान सभा चुनाव से पहले ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने इससे पहले पीठ से कहा था कि हाईकोर्ट का निष्कर्ष मेडिकल सबूत पर नहीं बल्कि ‘राय' पर आधारित है.

हालांकि अमरिन्दर सिंह सरकार ने 12 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था.

0

क्या है मामला?

यह घटना 27 दिसंबर, 1988 की है, जब गुरनाम सिंह, जसविन्दर सिंह और एक अन्य व्यक्ति एक शादी समारोह के लिये बैंक से पैसा निकालने जा रहे थे. पटियाला में शेरनवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक जिप्सी में सिद्धू और संधू कथित रूप से मौजूद थे. आरोप है कि जब वे क्रॉसिंग पर पहुंचे, तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने देखा कि जिप्सी बीच सड़क पर खड़ी है. उन्होंने जिप्सी में सवार सिद्धू और संधू से गाड़ी हटाने के लिये कहा, जिसे लेकर दोनों में तीखी तकरार हो गई.

पुलिस का दावा है कि सिद्धू ने गुरनाम सिंह की पिटाई की और घटनास्थल से भाग गये. घायल गुरनाम को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था.

कोर्ट में लटका रहा मामला

इस मामले में निचली अदालत ने सितंबर 1999 में सिद्धू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया. लेकिन हाईकोर्ट ने दिसंबर, 2006 में इस फैसले को उलटते हुए सिद्धू और सह आरोपी संधू को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया और उन्हें तीन तीन साल की कैद और एक-एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में सिद्धू और संधू को दोषी ठहराने के फैसले पर रोक लगाते हुये उनके अमृतसर लोकसभा सीट के लिये उपचुनाव लड़ने का रास्ता साफ कर दिया था.

(इनपुट: भाषा)

ये भी पढ़ें - रोड रेज केस: CM अमरिंदर सिंह ने कहा-सिद्धू के इस्तीफे का सवाल नहीं

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×