सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में 9 नवंबर के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर 12 दिसंबर को चेंबर में विचार करेगा . इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि विवादित जमीन हिंदुओं को दी जाए. इसके साथ ही उसने कहा था कि केंद्र 3 महीने के अंदर योजना बनाए और मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करे, मुस्लिमों (सुन्नी वक्फ बोर्ड) को मस्जिद के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच पुनर्विचार याचिकाओं पर चेंबर में विचार करेगी. बेंच के बाकी सदस्यों में जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जज तय करेंगे कि पुनर्विचार याचिकाओं पर ओपन कोर्ट में सुनवाई हो या नहीं.
अयोध्या मामले में तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने सर्वसम्मति से अपना फैसला सुनाया था. अब जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो चुके हैं, इसलिए उनकी जगह पर संविधान बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना को शामिल किया गया है.
विवादित जगह पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान, हाजी महबूब और मिसबाहुद्दीन ने 6 दिसंबर को याचिकाएं दायर की थीं. इन सभी पुनर्विचार याचिकाओं को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन मिला हुआ है. इससे पहले दो दिसंबर को पहली पुनर्विचार याचिका मूल वादी एम सिदि्दक के कानूनी वारिस मौलाना सैयद अशहद राशिदी ने दायर की थी.
संविधान बेंच के इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए अब तक 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हो चुकी हैं.
पुनर्विचार याचिका दायर करने वालों में इतिहासकार इरफान हबीब, अर्थशास्त्री एवं राजनीतिक विश्लेषक प्रभात पटनायक, मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर, नंदिनी सुंदर और जॉन दयाल भी शामिल हैं.
इनके अलावा हिंदू महासभा ने भी कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करके मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के निर्देश पर सवाल उठाए हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)