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आतंकी बुरहान वानी की तीसरी बरसी:कश्मीर में सुरक्षा कड़ी,इंटरनेट बंद

अलगाववादी संगठनों ने सोमवार को घाटी में बंद का आह्वान किया है.

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जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के तीन साल पूरे होने पर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. बुरहान दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आठ जुलाई 2016 को मारा गया था. अलगाववादी संगठनों ने सोमवार को घाटी में बंद का आह्वान किया है.

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चार जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद

अधिकारियों ने बताया कि ऐहतियात के तौर पर दक्षिण कश्मीर के चार जिलों अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया कि बरसी का दिन शांतिपूर्वक निकल जाए इसके लिए सारे उपाए किए गए हैं. उन्होंने कहा कि अमरनाथ यात्रा पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा.

पिछले साल भी बुरहान वानी की बरसी को लेकर अलगावादियों ने 8 जुलाई को घाटी में बंद का ऐलान किया था. इसे देखते हुए ऐहतियातन एक दिन के लिए अमरनाथ यात्रा रोक दी गई थी.

सुरक्षा बलों के लिए एहतियात

इस बीच पुलिस के एक प्रवक्ता के बताया कि श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग से सोमवार को सुरक्षा बलों के काफिले को गुजरने की इजाजत नहीं दी जाएगी. उन्होंने हालांकि इसका कोई कारण नहीं बताया, लेकिन माना जा रहा है कि बुरहान की बरसी के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है. साल 2017 में वानी की पहली बरसी पर आतंकियों ने सेना के जवानों पर हमला किया था, जिसमें 2 जवान घायल हो गए थे. 8 जुलाई 2017 को सुबह 6.30 बजे बांदीपुरा इलाके में आतंकियों ने फायरिंग की थी.

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बुरहान की मौत के बाद हुए थे हिंसक प्रदर्शन

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में 8 जुलाई 2016 को हुई एक मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने त्राल के रहने वाले आतंक के 'पोस्टर बॉय' बुरहान वानी को मार गिराया था. उसकी मौत के बाद घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे और लंबे समय तक कर्फ्यू लगा रहा था. करीब चार महीने तक चले विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में करीब 85 लोगों की जान चली गई थी.

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