ईयू सांसदों के कश्मीर दौरे पर विपक्ष के साथ सरकार की सहयोगी शिवसेना ने ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. शिवसेना ने बुधवार को सांसदों के कश्मीर पर दौरे पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि यह कोई 'अंतरराष्ट्रीय मुद्दा' नहीं है कि सरकार उन्हें इस तरह का दौरा करा रही है.
कश्मीर पर नेहरू के यूएन जाने पर एतराज फिर क्यों यह दौरा?
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के एक संपादकीय में पूछा है कि क्या ईयू डेलिगशन का कश्मीर दौरा भारत की आजादी और संप्रभुता पर 'बाहरी आक्रमण' नहीं है. सामना में कहा गया है कि जब पंडित नेहरू के कश्मीर मुद्दे को यूएन में ले जाने की आलोचना की जा सकती है तो फिर ईयू सांसदों को इसका दौरा क्यों कराया जा रहा है.
खुर्शीद ने कहा,बाहर से पहले घर लोगों को मौका देते
इस बीच, सीनियर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि एक ओर तो हम कहते हैं कि कश्मीर हमारा आतंरिक मामला है. इसमें किसी का दखल स्वीकार नहीं. दूसरी ओर यूरोपीय डेलिगेशन को कश्मीर बुलाया जाता है. क्या विदेशी दल का कश्मीर दौरा कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव था. उन्होंने कहा कि ईयू सांसदों के दल को बुलाने से पहले घर के लोगों को कश्मीर जाने दिया जाता तो अच्छा होता. खुर्शीद ने कहा
देश में राजनीतिक पार्टियों के लोगों को कश्मीर जाने से रोक दिया गया और बाहर से डेलिगेशन बुलाए जा रहे हैं. सरकार आइडिया ऑफ इंडिया के साथ छेड़खानी कर रही है. कश्मीर आइडिया ऑफ इंडिया का अभिन्न अंग है. कश्मीर के बिना भारत के विचार की कल्पना खत्म हो जाएगी.
इससे पहले, कश्मीर का दौरा कर रहे यूरोपीय सांसदों ने बुधवार को अपनी प्रेस कांफ्रेस में कहा कि राज्य के लोग शांति चाहते हैं. कश्मीरी अवाम विकास चाहती है. सांसदों ने सेना से आतंक को लेकर बातचीत की है. भारत एक शांतिप्रिय देश है. यूरोप आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ है. प्रेस कांफ्रेंस में यूरोपीय सांसदों ने कहा कि उनके दौरे को गलत नजरिये से देखा गया. वे कतई नाजीवादी नहीं हैं.
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