सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे एक बार फिर अनशन पर बैठ गए हैं. अन्ना ने ये अनशन लोकपाल की नियुक्ति और हर राज्य में लोकायुक्त कानून लागू किए जाने की मांग को लेकर शुरू किया है.
महाराष्ट्र में अपने गांव रालेगण सिद्धि में अन्ना बुधवार सुबह 10 बजे से अनशन पर बैठ गए हैं. इससे पहले अन्ना ने मंगलवार को मीडिया से कहा था कि उनका अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष या पार्टी के खिलाफ नहीं है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए बहानेबाजी करने का आरोप भी लगाया.
“’ये मेरा अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष, पार्टी के विरुद्ध में नहीं है. समाज और देश की भलाई के लिए बार-बार मैं आंदोलन करता आया हूं, उसी प्रकार का ये आंदोलन है.”-अन्ना हजारे
अन्ना हजारे ने कहा, "लोकपाल कानून बनकर 5 साल हो गए और नरेंद्र मोदी सरकार 5 साल बाद भी बार-बार बहानेबाजी करती है." उन्होंने सवाल उठाया कि नरेंद्र मोदी सरकार के दिल में अगर यह मुद्दा अहम होता तो क्या 5 साल लगना जरुरी था?
'लोकपाल होता तो राफेल जैसा घोटाला न होता'
इससे पहले सोमवार को अन्ना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ''अगर लोकपाल होता तो राफेल जैसा घोटाला नहीं हुआ होता. मेरे पास राफेल से जुड़े कई कागजात हैं और मैं दो दिन उनको पढ़ने के बाद दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा. मुझे एक बात समझ नहीं आती कि समझौते से एक महीने पहले बनी एक कंपनी को इसमें सहयोगी कैसे बनाया गया.''
8 साल में लोकपाल पर अन्ना का तीसरा अनशन
बीते 8 साल में लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना तीसरी बार भूख हड़ताल करने जा रहे हैं. पहली बार वे सिविल सोसायटी सदस्यों और समूहों का नेतृत्व करते हुए अप्रैल 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे थे. इसके बाद अन्ना ने बीते साल 23 मार्च को एक बार फिर रामलीला मैदान में लोकपाल की मांग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था. उन्होंने सात दिन बाद अपना अनशन तोड़ा था.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी है लोकपाल की लिस्ट
इसी महीने की 17 ततारीख को सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्च कमेटी को अहम निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने लोकपाल पर सर्च कमेटी को निर्देश देते हुए कहा कि वो फरवरी तक लोकपाल और अन्य सदस्यों की लिस्ट तैयार करे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिस्ट तैयार करने के बाद सेलेक्शन कमेटी को विचार के लिए भेजा जाए.
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