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किसान आत्महत्या पर बेटे ने पढ़ी कविता, उसी दिन पिता ने की खुदकुशी

35 साल के मल्हारी पटुले पर कुछ कर्ज बकाया था जिसके तनाव में आ कर उससे आत्महत्या कर ली

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भारत
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किसान आत्महत्या पर बेटे ने पढ़ी कविता, उसी दिन पिता ने की खुदकुशी
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27 फरवरी को मराठी राजभाषा दिवस के दिन अहमदनगर जिले के भारजवाड़ी गांव के स्कूल में कविता पाठ का आयोजन हुआ. इसमें तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले आठ साल के छात्र प्रशांत ने किसानों से आत्महत्या न करने का आग्रह करने वाली कविता पढ़ी थी. त्रासदी देखिए कि कविता पाठ के कुछ घंटों बाद ही उसके पिता ने कर्ज में दबे होने के कारण आत्महत्या कर ली.

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पथराड़ी थाने के एक अधिकारी के मुताबिक भरजवाड़ी निवासी 35 साल के मल्हारी पटुले पर कुछ कर्ज बकाया था. उसके चोरी हो गए ट्रक की मासिक किस्त भी बकाया चल रही थी जिससे वह बेहद तनाव में था.

प्रशांत ने अपने स्कूल में होने वाले मराठी राजभाषा दिवस के लिए खुद ये कविता लिखी थी जिसके बोल “ऐ किसान राजा, तू मत करना आत्महत्या.” थे. 

प्रशांत की कविता

'मेहनत करके बावजूद भी तेरे पीछे परेशानी का पहाड़,

ए किसान राजा तू मत करना आत्महत्या.

तेरे पास पैसे नहीं होते फिर भी तेरे बच्चों को स्कूल भेजता है तू,

कड़ी धूप में खून पसीना एक कर तू करता है खेती,

अरे किसान राजा तू मत करना आत्महत्या.

फसल आने के बाद भी नहीं मिलते तुझे वाजिब दाम,

खेत में काम कर तेरे हाथ में पड़ते हैं छाले,

अरे किसान राजा तू मत करना आत्महत्या.'

पुलिस अधिकारी ने बताया,

“मल्हारी पटुले ने अपनी बहन की शादी के लिए कर्ज लिया था. गुरुवार शाम को उसने जहर खा लिया और एक स्थानीय अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई.
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महाराष्ट्र में किसान कर्जमाफी पर तकरार

महाराष्ट्र में अगस्त और सितंबर महीने में बारिश नहीं होने पर किसानों की फसल बड़े पैमाने पर बर्बाद हुई थी. सीएम उद्धव ठाकरे ने सत्ता में आने के बाद ऐलान किया था कि किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया जाएगा. महात्मा ज्योतिबा फुले किसान कर्जमाफी योजना के तहत 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2019 के बीच लिये गए कर्ज, जिसे 30 सिंतबर 2019 तक चुकाया न गया हो उसे माफ करने की बात थी.

किसानों की कर्जमाफी की पहली लिस्ट पर बीजेपी ने सवाल खड़े किए हैं. बीजेपी ने कहा कि सरकार ने केवल एक प्रतिशत किसानों का कर्ज माफ किया है और वो लोगों को गुमराह कर रही है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, 2018 में किसानी का काम करने वाले 10,349 लोगों ने आत्महत्या की थी.

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