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हिंदी भाषा विवाद: देश के तमिल लोग हिंदी क्यों बोले- सोनू निगम

भारत के संविधान में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में नहीं लिखा गया है- सोनू निगम

Published
भारत
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सोनू निगम (Sonu Nigam) ने हिंदी भाषा (Hindi Language) को लेकर चल रहे विवाद पर अपनी राय साझा की है जो बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन (Ajay Devgun) और कन्नड़ अभिनेता किच्चा सुदीप (Kiccha Sudeep) के बीच भाषा को लेकर हुए विवाद के बाद देशभर में छिड़ गया है.

सोनू निगम ने कहा है कि मेरी जानकारी में हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है औ उन्हें (तमिलों को) हिंदी क्यों बोलनी चाहिए?

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BEAST स्टुडियो के सीईओ सुशांत मेहता से बातचीत में सोनू निगम ने कहा, "मेरी जानकारी के अनुसार, भारत के संविधान में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में नहीं लिखा गया है. मैंने इस बारे में विशेषज्ञों से भी सलाह ली है."

"मैं इस बात को समझता हूं कि हिंदी देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. लेकिन क्या हम ये जानते हैं कि तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है? संस्कृत और तमिल के बीच एक बहस है. लोग कहते हैं कि तमिल पूरी दुनिया में सबसे पुरानी भाषा है."
सोनू निगम

सोनू निगम ने आगे कहा कि, "क्या देश में कम समस्याएं हैं कि हमें एक और नई समस्या चाहिए? हम दूसरों पर भाषा थोपकर देश में वैमनस्य पैदा कर रहे हैं, कह रहे हैं कि आप तमिल हैं, आपको हिंदी बोलनी चाहिए. वे क्यों करेंगे? लोगों को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए कि वे कौन सी भाषा बोलना चाहते हैं."

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सुशांत मेहता ने अपनी बातचीत का वीडियो ट्वीट कर लिखा, अजय देवगन के लिए सोनू निगम का ये शानदार जवाब है: इस देश में लोगों को और विभाजित न करें, यह कहां लिखा है कि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है?

सोनू निगम ने आगे कहा, "छोडो यार (इसे छोड़ दो) उन्हें मजे करने दो. एक पंजाबी को पंजाबी बोलना चाहिए, तमिलनाडु के लोगों को तमिल बोलनी चाहिए. अगर वे अंग्रेजी में सहज हैं, तो वे उस भाषा में बोलेंगे. हमारी अदालतों के फैसले अंग्रेजी में हैं. फ्लाइट अटेंडेंट भी अंग्रेजी पसंद करते हैं."

सोनू निगम का कहना है कि, "यह गलत है. अपने ही देश के लोगों पर कुछ थोपना या यह कहना, 'हम श्रेष्ठ हैं तुम हमारी भाषा सीखो' वे यह कैसे करेंगे? उन्हें हिंदी नहीं आती है, वे अंग्रेजी में ज्यादा सहज हैं … और हमें यह स्वीकार करना होगा कि अंग्रेजी हमारी संस्कृति का हिस्सा बन गई है.”

उन्होंने कहा कि इस बहस को लेकर भारत के नागरिकों के बीच मतभेद पैदा करने की कोई जरूरत नहीं है.

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