मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार पर कुछ छात्रों ने यह आरोप लगाया है कि उनसे कहा जा रहा है की सरकार के पास उनकी पढ़ाई के लिए मिली स्काॉलरशिप का पर्याप्त फंड नहीं है.
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार के एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग के मेधावी छात्रों को विदेश में स्कॉलरशिप देकर पढ़ाने की योजना के भरोसे भोपाल का एक छात्र यूके में जाकर फंस गया है, वहीं सरकार के इस रवैये के चलते दर्जनों छात्र विदेश जाने के लिए एक्सेप्टेन्स लेटर को लेकर एससी वेलफेयर विभाग के चक्कर लगा रहे हैं.
विदेश में फंसे छात्र ने क्विंट को बताई अपनी दुविधा
जानकारी के अनुसार भोपाल के नारियल खेड़ा के रहने वाले वैभव सिंह ने माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी (एमसीयू) से जर्नलिज्म की डिग्री हासिल की है. जिसके बाद वैभव सिंह यूके की लफब्रो यूनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री कोर्स करने गए हुए हैं. जो कि एक वर्ष का है.
मध्य प्रदेश सरकार की योजना के तहत पढ़ाई के लिए गए हुए वैभव सिंह ने क्विंट को बताया कि जब वो यूके आ रहे थे तो उन्हें पता था कि अभी विभाग के पास फंड नहीं है तो उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात की. तब उनको बताया गया कि अभी फंड नहीं है और आप अभी मत जाइए.
लेकिन बतौर वैभव, अधिकारी कह रहे थे कि अगले साल जाओ लेकिन वैभव इसी साल जाना चाहते थे. वैभव ने कहा कि, अधिकारियों ने जब हमसे बात की तो मुझे यह बताया गया कि नवंबर तक फंड आ जाएगा तो मैंने फैसला किया कि मैं चला जाता हूं. क्योंकि मेरा एक साल बर्बाद हो जाएगा. मैं सितंबर से यहां आया हूं, मुझे लगा कि 2 महीने ही मुझे मैनेज करना पड़ेगा तो मैं कर लूंगा. मैं 17 सितंबर को यूके आया हूं और सितंबर और अक्टूबर का किराया, मैंने मेरा जो लोन सैंक्शन हुआ था उससे भर दिया है.
बतौर वैभव उन्हें अभी नवंबर और दिसंबर का रेंट भरना है एक महीने का रेंट 500 पाउंड यानी लगभग 50000 रुपए होता है. खाने और ट्रैवल का खर्चा अलग है.
इस योजना के तहत सरकार 40 000 डॉलर या फिर फीस दोनों में से जो भी कम हो वह देती है. वीजा और टिकट के पैसे दिए जाते हैं. 10000 डॉलर का लिविंग एक्सपेंस भी दिया जाता है. लेकिन वैभव के अनुसार इसमें से यूनिवर्सिटी की फीस नहीं आई है और ना ही लिविंग एक्सपेंस आया है.
वैभव ने आगे बताया कि उन्हें वीजा और टिकट के पैसे तो दे दिए गए हैं लेकिन रेंट के पैसे नहीं दिए हैं. उनसे कहा जा रहा है कि वीजा और टिकट के जो पैसे आपके पास आए हैं उससे आप रेंट भर दीजिए लेकिन वैभव ने वीजा और टिकट के लिए पैसे उधार लिए थे ,जिसे उनको चुकाना है.
वैभव ने बताया कि अब वो लोन का अमाउंट भी नहीं निकाल सकते क्योंकि उन्होंने अपने लोन का आधा अमाउंट 2.50 लाख निकाल लिया है.
वैभव का कहना है कि उन्होंने अपने कॉलेज में बात की और बताया कि सिचुएशन ऐसी है कि वह स्कॉलरशिप पर है और स्कॉलरशिप आने में देरी हो हो रही है. वैभव ने कॉलेज से कहा की अभी उनके पास उनके विभाग से पैसा नहीं आया है तो उनसे कहा गया कि आप अपने उसी डिपार्टमेंट से हमारे पास मेल करवा दीजिए तो हमारे मध्य प्रदेश के विभाग ने उन्हें 15 तारीख तक का मेल कर दिया अब 15 तारीख को मैं पैसा कहां से दूंगा जबकि मैंने कहा भी था सर जब ईमेल भेजें तो उस डेट का भेजिएगा जब मेरी स्कॉलरशिप के पैसे आने की संभावना हो.
मामले के सत्यापन के लिए क्विंट ने कुछ अन्य छात्रों से भी की बात
मध्यप्रदेश में करीब दो दर्जन ऐसे छात्र हैं जिनको पढ़ाई के लिए विदेश जाना है उनमें से 3 छात्रों को कंफर्मेशन लेटर भी आ चुका है इन लोगों को सितंबर में जाना था लेकिन फंड नहीं होने की वजह से अभी नहीं जा पाए हैं. इन छात्रों से क्विंट ने मामले की सच्चाई जानने के लिए बात की.
जबलपुर के रहने वाले छात्र विवेक सूर्यवंशी ने बताया कि उन्होंने जबलपुर से बीई (BE) किया है. सूर्यवंशी पढ़ाई के लिए यूके की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी एमबीए करने जाने वाले हैं. इनका 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय विदेश अध्यन के लिए स्कॉलरशिप स्कीम के तहत सिलेक्शन हुआ था और नियम अनुसार यह लोग 3 साल के अंदर स्टडी करने विदेश जा सकते हैं, इसी के चलते इनको यूके जाना था. सूर्यवंशी पढ़ाई के लिए सितंबर में यूके जाने वाले थे लेकिन फंड की कमी के चलते इनसे जनवरी में जाने का बोला गया लेकिन हालात ऐसे दिखाई दे रहे हैं कि अब शायद जनवरी में भी नहीं जा पाएंगे.
नाम ना छापने की शर्त पर एक अन्य छात्र ने बताया कि उन्हें भी इस योजना के तहत विदेश में पढ़ाई करने जाना है। हम सब लोग लगातार एससी वेलफेयर डिपार्टमेंट के अधिकारियों से मिलने जा रहे हैं. जब हम उनसें बात करके अपनी परेशानी बताते हैं तो हमसे कहा जाता है कि अभी फंड की कमी है. हमने सरकार को फंड के लिए लिखा है, जैसे ही फंड आएगा आपको भेज दिया जाएगा.
इंदौर के छात्र अंकित वर्मा ने बताया कि उन्होंने बीई किया है और उन्हें यूके की हेरियट-वाट यूनिवर्सिटी से एमएससी इन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट करने जाना है. अंकित ने कहा कि अभी करीब हम सब 22 स्टूडेंट हैं जो लगातार परेशान हो रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि हमें स्कॉलरशिप स्कीम के तहत विदेश पढ़ने भेजा जाए.
किसने क्या कहा?
वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का कहना है कि अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) के छात्रों के लिए यह सरकार हमेशा फंड की शॉर्टेज बताएगी और यह हमारे मूलभूत विकास की बुनियाद जैसे शिक्षा जैसी चीजों में फंड की कमी बताकर अनुसूचित जाति जनजाति के विकास का सार्वजनिक प्रचार-प्रसार करते हैं. आप जो बता रहे हैं यही वास्तविकता है, सरकार को अनुसूचित जाति-जनजाति के विकास के लिए पूरा प्रबंधन करना चाहिए और सही समय पर निर्णय लेना चाहिए.
मामले में एससी वेलफेयर डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर सुधीर जैन ने ज्यादा कुछ तो नहीं बताया कुछ सवालों में अपने खुद को ऑथराइज नहीं होने का हवाला देते हुए किनारा किया लेकिन यह जरूर बताया कि मामला सॉल्व हो गया है, एक हफ्ते में फंड रिलीज हो जाएगा.
क्या है योजना?
मध्यप्रदेश निवासी अनुसूचित जाति संवर्ग के 18 से 35 आयु वर्ग के छात्रों के लिए विदेश अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई थी. इस योजना में प्रति वर्ष शिक्षण शुल्क वास्तविक अथवा 40000 यूएस डॉलर जो भी कम हो वह दिया जाता है. साथ ही 9000 डॉलर प्रतिवर्ष गुजारा भत्ता भी दिए जाने का प्रावधान है.
इसके सिवा 1000 रुपए प्रति वर्ष इमरजेंसी फंड देने का भी प्रावधान है. छात्रों का किराया और वीजा शुल्क भी सरकार देती है. प्रतिवर्ष अधिकतम 50 छात्र चयन करने का नियम है.
इस योजना को लांच करने के पीछे राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के साथ ही पिछड़े वर्ग के लोगों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है.
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