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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की राशन योजना पर केंद्र की अपील को किया खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज किया है

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) की 'घर-घर राशन योजना' के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट सोमवार, 22 नवंबर को सुनवाई करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विचार करने से मना करते हुए कहा कि यह 22 नवंबर, 2021 को उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध है, क्योंकि दोनों पक्ष सहमत हैं कि वो स्थगन की मांग नहीं करेंगे.

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पीठ ने ये भी कहा कि चुनौती के तहत आदेश एक अंतरिम आदेश था और इस मामले पर 22 नवंबर को हाईकोर्ट में फिर सुनवाई की जाएगी.

दिल्ली सरकार की इस योजना के आने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने राशन की डिलीवरी का विकल्प चुना था, उचित मूल्य की दुकानों को आपूर्ति में कटौती की अनुमति दी थी.

HC के अंतरिम आदेश के खिलाफ SC गया केंद्र

केंद्र सरकार ने 27 सितंबर के हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि दिल्ली घर-घर राशन योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के उल्लंघन में है, क्योंकि यह प्रक्रिया से उचित मूल्य की दुकानों को हटा देती है, क्योंकि आपूर्ति निजी एजेंसियों द्वारा की जाती है.

उन्होंने दावा किया कि राशन डायवर्ट न हो ये सुनिश्चित करने के लिए उचित मूल्य की दुकानों पर लगाए गए इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट-ऑफ-सेल (E-POS) सिस्टम को हटाया जा रहा है.

इस सिस्टम से उचित मूल्य की दुकानों को हटाना नहीं है. उनके पास पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ई-पीओएस प्रणाली है, पूरा अधिनियम उसी पर आधारित है. निजी एजेंट राशन को घर-घर पहुंचाते हैं. किसको कितनी गुणवत्ता और मात्रा में राशन दिया जा रहा है, यह कोई नहीं जानता.
तुषार मेहता, सॉलिसिटर-जनरल

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने मेहता के दावों का खंडन करते हुए कहा कि अधिनियम केंद्र को सप्लायर बनाता है लेकिन राज्य के भीतर वितरण राज्य का जनादेश है.

अगर राज्य शून्य लागत पर राशन देने को तैयार है और 90 प्रतिशत जनता इसे चाहती है, तो केंद्र को इससे कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. विशाल रिसाव, कालाबाजारी करने वालों के लिए डायवर्जन यहां बग्स हैं. इसे रोकने के लिए हम होम डिलीवरी कर रहे हैं, जो लोग दुकानों से प्राप्त करना चाहते हैं, उनके पास अभी भी वो विकल्प है.
डॉ अभिषेक मनु सिंघवी, वरिष्ठ अधिवक्ता

उन्होंने सॉलिसिटर-जनरल के इस दावे का भी खंडन किया कि ये योजना एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना में बाधा होगी.

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'एंड-टू-एंड कम्प्यूटराज्ड है योजना'

डॉ.सिंघवी ने आगे स्पष्ट किया कि वेरिफिकेशन और डायवर्जन की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए ई-पीओएस को केवल थोड़ी देर के लिए रोक दिया गया था. दिल्ली सरकार की योजना प्रणाली एंड-टू-एंड कम्प्यूटराज्ड है. यह बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन पर आधारित है. ई-पीओएस मशीन का अभी भी उपयोग किया जा रहा है.

तुषार मेहता की ओर से आगे तर्क दिया कि सौ व्यक्तियों का एक सैंपल सर्वे किया गया था, जिसमें से लगभग चालीस ने होम डिलीवरी का विकल्प चुना था, इसलिए उच्च न्यायालय ने अनुमति दी.

मेहता के इस दावे पर डॉ. सिंघवी ने स्पष्ट करते हुए बताया कि सर्वेक्षण में शामिल 71 लाख लोगों में से 69 लाख ने होम डिलीवरी का विकल्प चुना था.

डॉ सिंघवी ने सवाल उठाते हुए कहा कि शराब घर पर पहुंचाई जा सकती है और खाना नहीं?
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उन्होंने बताया कि भारत संघ ने "मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना" नाम की योजना पर एक लिखित आपत्ति दी थी, इसलिए नाम बदल दिया गया था.

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