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सुप्रीम कोर्ट को मिले 2 नए जज, जस्टिस मिश्रा और विश्वनाथन का ऐसा है करियर

जस्टिस केवी विश्वनाथन के 2030 में 58वें मुख्य न्यायाधीश बनने की उम्मीद है.

Published
भारत
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जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और पूर्व सीनियर वकील केवी विश्वनाथन ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जज के रूप में शपथ ली है. दोनों को शुक्रवार, 19 मई को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शपथ दिलाई.

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार, 16 मई को दोनों जजों की सिफारिश की थी. केंद्र ने 18 मई को इनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी. आपको बताते हैं दोनों का अब तक का लीगल करियर कैसा रहा है?

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जस्टिस केवी विश्वनाथन

कॉलेजियम ने अपने बयान में कहा कि "केवी विश्वनाथन को कानून की अच्छी समझ है और कानूनी बिरादरी में उन्हें सत्यनिष्ठ और ईमानदार सदस्य के रूप में जाना जाता है."

विश्वनाथन के 2030 में 58वें मुख्य न्यायाधीश बनने की उम्मीद है. वे उन वकीलों की सूची में शामिल होंगे जो बार से पदोन्नत होकर सीजेआई बने.

जस्टिस एसएम सीकरी और यूयू ललित, दो ऐसे जज थे जो बार से प्रोमोट होने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश बने थे. सिटिंग जज जस्टिस पी एस नरसिम्हा तीसरे सीजेआई बनेंगे जिन्हें बार से प्रोमोट किया गया था.

वैवाहिक समानता मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाले विश्वनाथन इस पेशे में 30 साल से ज्यादा समय से हैं. इस साल की शुरुआत में, उन्होंने 2016 की व्हाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच में इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) का प्रतिनिधित्व किया था. उस समय, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि डेटा संरक्षण के संबंध में कोई विनियमन नहीं है.

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जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में नियुक्त होने से पहले, जस्टिस मिश्रा को 2021 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया गया था. इससे पहले, उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस और उसी कोर्ट में जस्टिस के रूप में काम किया था.

कॉलेजियम ने कहा कि उनकी सिफारिश करना जरूरी था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से कोई प्रतिनिधित्व नहीं था. इसमें कहा गया कि,

"छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिनिधित्व के अलावा, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा के ज्ञान और अनुभव से भी कोर्ट को फायदा होगा. जस्टिस मिश्रा ईमानदार जज हैं."

पिछले साल मार्च में जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार की तीन राज्यों की राजधानियों की योजना को खारिज कर दिया था. होई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि राज्य सरकार के पास राजधानी बदलने या राजधानी शहर को विभाजित करने या तीन भागों में बांटने के लिए कोई संकल्प या कानून पारित करने की विधायी क्षमता नहीं है.

2019 में सत्ता में आने के बाद, YSRC की अगुवाई वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने अमरावती को राजधानी शहर के रूप में विकसित करने की योजना को छोड़ दिया था और तीन राजधानियां- अमरावती, विशाखापट्टनम और कुरनूल बनाने का फैसला किया था.

जज बनने से पहले जस्टिस मिश्रा ने रायगढ़ जिला न्यायालय और बाद में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में वकील के रूप में काम किया है.

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