सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और 11 राज्यों को नोटिस जारी कर पुलवामा आतंकी हमले के बाद कश्मीरी छात्रों पर हो रहे हमलों को रोकने के उपायों पर जवाब मांगा है. इन हमलों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की मुख्य सचिवों और 11 राज्यों के डीजीपी से तुरंत एक्शन लेने को कहा है. कोर्ट का निर्देश है कश्मीरियों के सामाजिक बहिष्कार और उन्हें मिल रही धमकियों के खिलाफ तुरंत कदम उठाए जाएं.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने मॉब लिचिंग के मामले से निपटने के लिए नियुक्त नोडल अफसरों को निर्देश दिया कि वे कश्मीरियों पर हो रहे हमले की घटनाओं को रोकने का पूरा बंदोबस्त करें.
सुप्रीम कोर्ट ने होम मिनिस्टरी को निर्देश दिया कि वे इन नोडल अफसरों को नाम को प्रचारित करें ताकि हमले या सामाजिक बहिष्कार की धमकियां झेल रहे कश्मीरी उनसे संपर्क कर सकें.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने पुलवामा हमले के बाद देश भर में कश्मीरी छात्र-छात्राओं पर हमले और उनके बहिष्कार की घटनाओं को रोकने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एल एन राव की बेंच ने सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजालविस के इस अनुरोध पर निर्देश दिया. इसमें इस मामले पर तुरंत फैसला कर कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध किया गया था.
देश भर में कश्मीरी स्टूडेंट्स से बदसलूकी की खबरें
पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले के बाद से देश भर के कई शहरों में कश्मीरी छात्रों के साथ मारपीट की खबरें आ रही हैं. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से कश्मीरी छात्रों को सुरक्षा देने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि सभी राज्य इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति करे. इसी के साथ अगर कहीं भी कश्मीरी छात्रों के साथ गलत व्यवहार हो रहा है या फिर मारपीट जैसी घटनाएं हो रही हैं तो वहां पर तुरंत पुलिस की मौजूदगी तय की जाए.
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