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मोबाइल नंबर से आधार जोड़ने का निर्देश कभी नहीं दिया- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किये.

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'कृपया अपना मोबाइल नंबर आधार से लिंक करें, आधार से लिंक करना अनिवार्य है. नहीं तो आपका नंबर बंद कर दिया जाएगा.' ये बात मोबाइल कंपनियां कभी मैसेज के जरिए तो कभी कॉल करने से पहले लोगों को बार-बार बता रही थीं. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने कभी भी मोबाइल नंबर से आधार को जोड़ने का कोई निर्देश नहीं दिया था. आधार मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ी बात कही.

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सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किये. साथ ही कहा कोर्ट ने कहा,

यूजर के कंपल्सरी वेरिफिकेशन पर उसके पिछले आदेश को सरकार ने ‘औजार’ के रूप में इस्तेमाल किया. सरकार ने 6 फरवरी 2017 को दिए गए उसके आदेश की गलत व्याख्या की है.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि कोर्ट ने आधार को सिम से जोड़ने का कोई आदेश जारी नहीं किया, लेकिन सर्कुलर में कहा गया कि कोर्ट का आदेश है?

सरकार की सफाई

जस्टिस सीकरी और जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट ने ये आदेश जारी नहीं किया था, बल्कि फैसले में AG की दलीलों को रिकॉर्ड किया गया था. इंडियन यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी की तरफ से वकील राकेश द्विवेदी की दलील थी,

मोबाइल फोन का कनेक्शन लेते वक्त तो एक बार ही आधार वेरिफिकेशन होता है. कोर्ट इसकी वैधता पर विचार कर ले. इसका एक बड़ा मकसद आतंकवादियों के सिम और मोबाइल पर किए जाने वाले कॉल्स की पहचान करना है. इससे आतंकवाद पर रोक लगाने में बड़ी मदद मिल रही है.

यूआईडीएआई के वकील द्विवेदी ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने ई-केवाईसी के जरिए मोबाइल नंबरों के वेरिफिकेशन के बारे में कहा था और टेलीग्राफ अधिनियम के तहत सरकार को सेवा प्रदाताओं के लिए लाइसेंस की शर्तों का फैसला करने का अधिकार है. इस पर बेंच ने कहा, ‘‘आप (टेलीकॉम डिपार्टमेंट) सेवा प्राप्त करनेवालों के लिए मोबाइल फोन से आधार को जोड़ने के लिए शर्त कैसे लगा सकते हैं?''

बता दें कि यह बेंच आधार और इसके 2016 के एक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.

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