लोकसभा चुनाव में वोटों की गिनती को लेकर जिस गड़बड़ी की बात क्विंट ने 6 महीने पहले कही थी, अब वो मामला अदालत में जा पहुंचा है. 01 जून, 2019 को प्रकाशित द क्विंट के एक आर्टिकल "370 से ज्यादा सीटों के वोट काउंट में अंतर: EC के पास कोई जवाब नहीं " के आधार पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.
इस आर्टिकल में 2019 लोकसभा चुनावों में वोटिंग और वोटों की गिनती के आंकड़ों में विसंगतियां की बात सामने आई थी. इस याचिका में अदालत से मांग की गई है कि भारतीय चुनाव आयोग को ये आदेश दिया जाए कि वो किसी भी चुनाव के लिए रिजल्ट के ऐलान से पहले (वोट) डेटा का वास्तविक और सटीक तालमेल बिठाए.
याचिकाकर्ता ने 2019 लोकसभा चुनाव परिणामों से जुड़े आंकड़ों में सामने आई सभी गड़बड़ियों की जांच की भी मांग की है.
चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर चिंता जताते हुए, याचिका में कहा गया है:
“चुनाव आयोग द्वारा प्रमाणित चुनाव डेटा जारी होने से पहले ही चुनाव के रिजल्ट के ऐलान करने की मौजूदा प्रणाली बहुत ज्यादा गंभीर और सोचने वाली है. ये खतरनाक प्रवृत्ति है, इसलिए इसे दरकिनार नहीं किया जा सकता. इस तरह के प्रोटोकॉल से संदेह, भ्रम और एक बहुत बदनाम चुनावी प्रक्रिया पैदा होने की संभावना है ... सभी रिटर्निंग अधिकारियों से असल डेटा हासिल करने से पहले उत्तरदाता संख्या 1 (ईसी) द्वारा रिजल्ट का ऐलान करना असंवैधानिक, अवैध, मनमाना और अन्यायपूर्ण है.”
याचिकाकर्ता का आरोप, चुनाव आयोग के डेटा में गड़बड़िया
चुनाव आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव रिजल्ट की घोषणा के बाद कई मौकों पर अपनी वेबसाइट के साथ-साथ अपने ऐप, ‘माय वोटर्स टर्नआउट ऐप’ में मतदान के डेटा को बदल दिया था.
याचिका में चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि डेटा में कई बदलाव गड़बड़ियों को छिपाने की कोशिश हो सकती है.
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