सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court), दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की नियुक्ति को चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच 5 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई कर सकती है.
दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और गृह मंत्रालय को डिफेंडेंट बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की गई है. ये याचिका एडवोकेट एमएल शर्मा ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनके रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले हुई है, जिसके बाद उनका दिल्ली पुलिस प्रमुख के रूप में एक साल का कार्यकाल होगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ नियुक्ति
अवमानना याचिका में, शर्मा ने दावा किया है कि अस्थाना की नियुक्ति 3 जुलाई, 2018 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं करती है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा की जानी चाहिए और पैनल की तैयारी पूरी तरह से उन अधिकारियों की योग्यता के आधार पर होनी चाहिए, जिनके पास रिटायर होने के लिए कम से कम छह महीने या उससे ज्यादा का समय है.
याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गृह मंत्रालय ने कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) का नेतृत्व किया और जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ काम किया, इसलिए कोर्ट की गंभीर अवमानना दोनों डिफेंडेंट के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए उत्तरदायी है.
दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव पारित
27 जुलाई को दिल्ली पुलिस प्रमुख के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले, राकेश अस्थाना सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक थे. वह गुजरात कैडर के 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं.
29 जुलाई को दिल्ली विधानसभा ने अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया. राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से चंद दिन पहले दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए जाने के मामले में सियासत गर्मा गई है. दिल्ली विधानसभा में 29 जुलाई को अस्थाना की दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के तौर पर नियुक्ति के खिलाफ प्रस्ताव पारित करते हुए गृह मंत्रालय से नियुक्ति वापस लेने को कहा गया है. आम आदमी पार्टी (AAP) का कहना है कि ये नियुक्ति न केवल असंवैधानिक है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना भी है.
विवादों से घिरे रहे हैं अस्थाना
राकेश अस्थाना के खिलाफ 2018 में रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया गया था. तब राकेश अस्थाना सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर के पद पर थे. आरोपों के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया था. उनके खिलाफ तब सीबीआई डायरेक्टर रहे आलोक वर्मा ने ये मामला दर्ज किया था. हालांकि, राकेश अस्थाना ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस लड़ाई के बाद राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया था और नागेश्वर राव को सीबीआई डायरेक्टर बनाया गया.
फरवरी 2020 में राकेश अस्थाना को सीबीआई की तरफ से तमाम भ्रष्टाचार के मामलों में क्लीन चिट दे दी गई. सीबीआई ने कहा था कि उनके खिलाफ रिश्वत लेने का कोई सबूत नहीं है.
(IANS के इनपुट्स के साथ)
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