आधार को विभिन्न योजनाओं से अनिवार्य रूप से जोड़ने की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ गुरुवार को सुनवाई करेगा.
याचिकाकर्ताओं ने बैंक खाते और मोबाइल नंबर सहित विभिन्न योजनाओं से आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ने के मामले में अंतरिम राहत को बढ़ाने की मांग की है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविल्कर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड की पीठ ने कहा कि संविधान पीठ 14 दिसंबर को अपराह्न दो बजे मामले की सुनवाई करेगी.
केंद्र ने 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि विभिन्न सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं को आधार से अनिवार्य रुप से जोड़ने की समय सीमा को अगले साल 31 मार्च तक के लिए बढाया जाएगा.
कोर्ट ने 27 नवंबर को कहा था कि वह विभिन्न योजनाओं को आधार से अनिवार्य रुप से जोड़ने के केंद्र के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन पर विचार कर सकता है.
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आधार बनाम निजता का अधिकार
हाल ही में उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. कई याचिकाकर्ताओं ने आधार की वैधता को चुनौती देते हुए दावा किया था कि यह निजता के अधिकारों का उल्लंघन करता है. लेकिन सरकार ने न्यायालय में कहा कि जिन लोगों के पास आधार कार्ड है उन्हें इसे सिम कार्ड, बैंक खाते, पैन कार्ड और अन्य योजनाओं से लिंक कराना होगा.
सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाकर्ताओं ने आधार को बैंक खातों और मोबाइल नंबर से लिंक करने को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया है. उन्होंने सीबीएसई के छात्रों के परीक्षाओं के लिए बैठने के लिए आधार को जरूरी बनाने के कथित कदम पर भी आपत्ति जताई है. हालांकि केंद्र सरकार ने इसे खारिज किया है.
(इनपुटः PTI से)
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